Thursday, April 24, 2025

सिंधु जल संधि पर रोक, बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान !

पहलगाम में आतंकी हमला: भारत सरकार ने पाकिस्तान पर एक्शन लेना शुरु कर दिया है. आतंक परस्त पाकिस्तान पर भारत ने 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की गई, 2019 में पुलवामा अटैक के बाद एयर स्ट्राइक की गई और अब पहलगाम ने मासूम पर्यटकों को निशाना बना गया तो सरकार ने वॉटर स्ट्राइक कर दी.

क्या है सिंधु नदी जल समझौता ?

दरअसल सिंधु नदी समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों सतलुज, रावी और व्यास के पानी का पूरा अधिकार दिया गया था. वहीं पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का अधिकार दिया गया था. चूंकि ये तीन नदियां भारत से होकर बहती हैं तो भारत कुछ शर्तों के साथ इनके पानी का इस्तेमाल पीने और सिंचाई के कामों में कर सकता है इसके अलावा रन ऑफ द रिवर बांध भी इन नदियों पर बना सकता है. सिंधु नदी समझौते के तहत पाकिस्तान को जिन तीन नदियों का पानी दिया गया उनका सालाना 135 मिलियन एकड़ फीट पानी उसे मिलता है. जबकि भारत को मिली तीन पूर्वी नदियों सतलुज, व्यास और रावी का करीब 33 मिलियन एकड़ फीट पानी मिलता है.

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सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था. 62 साल पहले हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से पानी मिलता है. पाकिस्तान को करीब 80 फीसदी पानी मिलता है. साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को 6 नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की बैठक अनिवार्य है.

सिंधु जल संधि को लेकर पिछली बैठक 30-31 मई 2022 को नई दिल्ली में हुई थी. इस बैठक को दोनों देशों ने सौहार्दपूर्ण बताया था. पू्र्वी नदियों पर भारत का अधिकार है. जबकि पश्चिमी नदियों को पाकिस्तान के अधिकार में दे दिया गया. इस समझौते की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी. भारत को आवंटित 3 पूर्वी नदियां सतलज, ब्यास और रावी के कुल 168 मिलियन एकड़ फुट में से 33 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल आवंटित किया गया है.

भारत के उपयोग के बाद बचा हुआ पानी पाकिस्तान चला जाता है. जबकि पश्चिमी नदियां जैसे सिंधु, झेलम और चिनाब का लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट वार्षिक जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया है. सिंधु जल प्रणाली में मुख्य नदी के साथ-साथ पांच सहायक नदियां भी शामिल हैं. इन नदियों में रावी, ब्यास, सतलज, झेलम और चिनाब है. ये नदियां सिंधु नदी के बाएं बहती है. रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां जबकि जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु को पश्चिमी नदियां कहा जाता है. इन नदियों का पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में ये समझौता स्थगित करना पाक को भारी पड़ेगा.

साल 1961 से संधि की शर्तें लागू

12 जनवरी 1961 से संधि की शर्तें लागू कर दी गईं. इस तरह दोनों देशों के बीच एक बड़ा झगड़ा शांत हुआ. इस संधि के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं. 3 पूर्वी नदियों के पानी पर भारत का पूरा हक दिया गया. बाकी 3 पश्चिमी नदियों के पानी के को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था. भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है.

पाकिस्तान पर क्या होगा असर ?

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