Sunday, December 15, 2024

जानिए कौन है ‘Mission Raniganj’ के असली हीरो जशवंत सिंह गिल, जिन्होंने जान पर खेलकर बचाई 65 खदान मजदूरों की जान…

Mission Raniganj: अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू’ सिनेमाघरों तक पहुंच चुकी है। इस फिल्म की कहानी आधारित है पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक घटना पर जो साल 1989 में घटी थी। इस घटना में रानीगंज कोलफील्ड में फंसे 65 खदान श्रमिकों की बचाव कार्यवाही करने के लिए जसवंत सिंह गिल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। फिल्म में अक्षय कुमार ने जसवंत सिंह गिल की भूमिका निभाई है। चलिए, जानते हैं मिशन रानीगंज (Mission Raniganj) के असली महान नायक जसवंत सिंह गिल के बारे में…

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जशवंत गिल की प्रारंभिक शिक्षा (Mission Raniganj)

जसवंत सिंह गिल का जन्म 22 नवम्बर 1939 को अमृतसर के सठियाल में हुआ था। गिल की प्रारंभिक शिक्षा उनके गृहनगर सठियाल में एक उर्दू स्कूल में हुई। उसके बाद खालसा कॉलेज पब्लिक स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से स्नातक किया। इसके बाद जशवंत सिंह गिल ने झारखण्ड के धनबाद स्थित “इंडियन स्कूल ऑफ माइंस” से खनन इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद करम चंद थापर एंड ब्रदर्स (कोल सेल्स) लिमिटेड नामक एक कोयला कंपनी में नौकरी प्राप्त की। वहां कुछ वर्षों तक काम करने के बाद साल 1972 में उन्होंने कोल इंडिया लिमिटेड में एक इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। (Mission Raniganj)

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कोल इंडिया में मुख्य महाप्रबंधक ईडी के पद पर पदोन्नती

कोल इंडिया लिमिटेड में एक इंजीनियर के रूप में कुछ समय तक काम करने के बाद जसवंत सिंह गिल को उप-विभागीय अभियंता के रूप में पदोन्नत किया गया और फिर वह कोल इंडिया लिमिटेड में कार्यकारी अभियंता के तौर पर कार्यरत रहे। इसके बाद उन्हें रानीगंज में कोल इंडिया लिमिटेड में मुख्य महाप्रबंधक ईडी (सुरक्षा एवं बचाव) के पद पर पदोन्नत किया गया। 13 नवंबर 1989 को उसी क्षेत्र की एक कोयला खदान में एक दुर्घटना हुई, जिसमें 220 खनिक काम कर रहे थे। (Mission Raniganj)

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‘कैप्सूल गिल’ के नाम प्रसिद्द है जशवंत गिल

जसवंत सिंह गिल ने एक स्टील कैप्सूल तैयार करके बचाव मिशन की योजना बनाई। वे खुद कैप्सूल में प्रवेश करके वहां पहुँचे। जहाँ 65 खनिक फंसे थे। बोरवेल में पहुँचने के बाद जसवंत सिंह ने फंसे मजदूरों को एक-एक करके कैप्सूल के माध्यम से बचाने का कार्य शुरू किया। 65 खनिकों को सुरक्षित करने के बाद जसवंत सिंह अंत में बोरवेल से बाहर निकले और इस बचाव मिशन में लगभग छह घंटे लगे। इसके बाद से भारत में 16 नवंबर को बचाव मिशन की याद में ‘बचाव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने खदान में फंसे हुए मजदूरों को एक-एक करके लोहे के कैप्सूल में सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला। इसी कारण उन्हें ‘कैप्सूल गिल’ के नाम से जाना जाता है। (Mission Raniganj)

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‘बेस्ट लाइफ सेवर मेडल’ से सम्मानित

जसवंत सिंह गिल ने अपने इस कार्य के लिए भारी प्रशंसा प्राप्त की। साथ ही, तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण द्वारा ‘बेस्ट लाइफ सेवर मेडल’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें ‘स्वामी विवेकानंद अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस’, ‘प्राइड ऑफ द नेशन’ जैसे कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए। जसवंत सिंह गिल ने 1998 में चीफ जनरल मैनेजर ईडी (सेफ्टी एंड रेस्क्यू) के पद से सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्त होने के बावजूद, वे सामाजिक सेवाओं में सक्रिय रहे और 2008 में उन्हें अमृतसर में आपदा प्रबंधन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। 26 अप्रैल 2018 को, उन्हें रोटरी इंटरनेशनल के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। 26 नवंबर 2019 को, जसवंत सिंह गिल का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। (Mission Raniganj)

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