Sunday, December 15, 2024

समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा अहम फैसला 

नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार यानि 17 अक्तूबर को फैसला सुनाएगा। पांच जजों की संविधान पीठ यह फैसला सुनाएगी। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर पूरी सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रखा था। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा सकती है या नहीं। संविधान पीठ के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में कार्रवाई करने वाले पांच जजों ने इस पेचीदा मामले की सुनवाई दस दिन तक की थी।”

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आठ अगस्त को मुख्य न्यायाधीश ने संकेत दिया था कि पीठ समलैंगिक विवाह पर अपना निर्णय जारी करने की प्रक्रिया में है। संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायाधीश संजय किशन कौल, न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट, न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। न्यायाधीश भट्ट 20 अक्तूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस मामले में केंद्र सरकार ने इस मांग के खिलाफ शुरू से अंत तक विरोध किया है।

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समलैंगिक विवाह का सरकार ने विरोध किया

सरकार ने कहा है कि यह मुद्दा सिर्फ देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपराओं के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि इसकी मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में संशोधन किए जाने की भी आवश्यकता है। इसके साथ ही पर्सनल लॉ के तहत भी कदम उठाना होगा। सुनवाई के दौरान पीठ ने एक बार यह प्रश्न उठाया कि समलैंगिक विवाह पर कानूनी मान्यता के बिना सरकार संसद में क्या कदम उठा सकती है? इसका मतलब है कि बैंक अकाउंट, विरासत, बीमा बच्चा गोद लेने आदि के लिए सरकार संसद में क्या कर सकती है? सरकार ने भी कहा था कि वो कैबिनेट सचिव की निगरानी में विशेषज्ञों की समिति बनाकर समलैंगिकों की समस्याओं पर विचार करने को तैयार है।

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट समेत विभिन्न अदालतों में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग के साथ याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। पिछले साल, 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग दो याचिकाओं को ट्रांसफर करने की मांग पर विचार किया था। 25 नवम्बर से पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 2 अलग-अलग समलैंगिक जोड़ों की याचिकाओं पर भी केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। इन जोड़ों ने चाहा कि उनकी शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाए। इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक स्थान से सुनने का निर्णय लिया था।

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