Aditya L1 on Sun: भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान के इस सूर्य मिशन को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। लोग इस मिशन की लॉन्चिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में हम आपको सूर्य से जुड़े कई सवालों के उत्तर देंगे…
इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे…
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, भारत अब सूर्य मिशन आदित्य-एल1 (Aditya L1 on Sun) को लॉन्च कर दिया है। इसे लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) पर भेजा जाना है, जो पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। मिशन को इस बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने का समय लगेगा।
पहले जानते हैं कि आखिरकार सूरज है क्या ?
सरल शब्दों में कहें तो, सूरज एक बड़ा ज्वालामुखी है। सूरज मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना होता है। यह हमारे सौर मंडल का एकमात्र तारा होता है। सूरज हमारे सौर मंडल का केंद्र होता है और इसका गुरुत्वाकर्षण सौर मंडल को एक साथ बांधे रखता है। हमारे सौर मंडल में सब कुछ इसके चारों ओर घूमता है।
सूर्य का अध्ययन कैसे करते हैं?
उच्च तापमान के कारण अंतरिक्ष से सूर्य का अध्ययन करना कठिन होता है। हमें पृथ्वी के उपग्रहों पर दूरबीनों और कैमरों का सहायता लेकर देखना पड़ता है। हालांकि, 2020 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा ने सोलर ऑर्बिटर को लॉन्च किया, जो सूर्य की एक अण्डाकार कक्षा में प्रवेश करेगा। इसी तरह, शनिवार को इसरो भी Aditya L1 on Sun को लॉन्च किया है, जो सूर्य के बारे में अध्ययन करने के लिए सूर्य के लग्रेंजियन बिंदु एल1 पर प्रवेश करेगा।
सूर्य कितना बड़ा है ?
सूर्य हमारे सौर मंडल की सबसे बड़ी वस्तु है, इसके केंद्र से सतह तक की दूरी 6,95,508 किलोमीटर है। इसमें पूरे सौर मंडल के द्रव्यमान का 99.86 प्रतिशत हिस्सा है। यह द्रव्यमान इतना है कि सूर्य में लगभग 13 लाख पृथ्वी समा सकती हैं। सूर्य पृथ्वी से लगभग 100 गुना और सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से लगभग 10 गुना अधिक चौड़ा है। यदि सूर्य एक सामान्य दरवाजे जितना लंबा होता, तो पृथ्वी उसके एक चोटी सी कील जितनी ही होती। Aditya L1 on Sun
लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के अनुसार, कुछ तारे इसके आकार के केवल दसवां हिस्सा हैं, जबकि अन्य 700 गुना से भी ज्यादा बड़े हैं। अपने विशाल द्रव्यमान और प्रबल गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य लगभग पूर्ण गोला है।
सूर्य कितना गर्म है ?
कोर, जिसे सूर्य का केंद्र भी कहा जाता है, वहाँ सूर्य का सबसे गर्म भाग है, जिसका तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस है। इससे असाधारण मात्रा में ऊर्जा निकलती है जो बदले में गर्मी और प्रकाश के रूप में जाती है। कोर में उत्पन्न ऊर्जा को बाहरी परत तक पहुंचने में दस लाख वर्ष तक का समय लगता है। इस समय तापमान गिरकर लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जब तक यह सतह पर आता है, तब तक तापमान 5,973 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है, लेकिन यह अभी भी इतना गर्म होता है कि हीरा उबल जाए। (Aditya L1 on Sun)
सूर्य के कोरोना, यानी उसके वायुमंडल में, तापमान फिर से लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है। जैसे-जैसे सूर्य के केंद्र से दूरी बढ़ती है, तापमान में गिरावट आने की उम्मीद होती है। वायुमंडल में तापमान की इस द्रमात्मक वृद्धि को तारे के सबसे बड़े रहस्यों में से एक माना जाता है। भारत के आदित्य-एल1 मिशन के उद्देश्यों में इस तापमान विश्लेषण को शामिल करना भी है।
सूरज किससे बना है ?
सूरज एक गैस और प्लाज्मा का गोला है। इसका लगभग 91 प्रतिशत हाइड्रोजन गैस से बना हुआ है। इसे परमाणु संलयन प्रक्रिया के दौरान भीषण गर्मी और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण हीलियम में बदल जाता है। जब प्लाज्मा सूर्य के तापमान तक पहुँचता है, तो इसमें इतनी ऊर्जा बनती है कि आवेशित कण ग्रहण करके अंतरिक्ष में बाहर निकलते हैं। इसे सौर वायु कहा जाता है, जो कुछ परिस्थितियों में पृथ्वी के वायुमंडल से टकराता है। Aditya L1 on Sun
हाइड्रोजन और हीलियम के अलावा, वैज्ञानिकों ने सूरज में कम से कम 65 और तत्वों की पहचान की है। इनमें से सबसे प्रमुख हैं ऑक्सीजन, कार्बन, नाइट्रोजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, निकेल, लोहा, और सल्फर।
क्या सूर्य घूमता है ?
हाँ। सूर्य, पृथ्वी की तरह ठोस नहीं होता है, लेकिन यह घूमता है क्योंकि इसकी सतह पर प्लाज्मा चारों ओर से घूमता है। सामान्यत: पृथ्वी के हिसाब से, सूर्य को अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में 27 दिन लगते हैं, लेकिन विभिन्न भागों में यह अलग-अलग गति से घूमता है।
सूर्य ग्रहण क्या है ?
कभी-कभी चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है। यदि तीनों एक ही रेखा में आ जाते हैं, तो चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढ़क सकता है, जिससे पृथ्वी पर छाया पड़ सकती है और सूर्य ग्रहण हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही सूर्य चंद्रमा से 400 गुना बड़ा है लेकिन चंद्रमा पृथ्वी से 400 गुना अधिक पास है।
सूर्य ग्रहण लगभग हर छह महीने में होते हैं, लेकिन पूर्ण सूर्य ग्रहण, जिसमें सूर्य चंद्रमा द्वारा पूरी तरह से ढ़क जाता है, बहुत दुर्लभ होते हैं। वे लगभग हर दो साल में घटित होते हैं और वो भी पृथ्वी के सुदूर क्षेत्रों में। ये पूर्ण ग्रहण कुछ सेकंड तक ही रह सकते हैं, लेकिन सात मिनट से ज्यादा नहीं। Aditya L1 on Sun Aditya L1 on Sun