नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 (Article 370) को हटाने के चार साल बाद मोदी सरकार एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने की कवायद में है। इस कवायद का हिस्सा रूप में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश किए हैं। पहला बिल है – “जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023” और दूसरा है – “जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023″।
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विस्थापित लोगों के लिए सीट रिजर्व रखने का प्रावधान
पहला बिल जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों और पीओके से विस्थापित लोगों के लिए सीट रिजर्व रखने का प्रावधान करता है। इसके साथ ही दूसरा विधेयक वंचित और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था करता है। इन दोनों प्रस्तावों पर बुधवार को विचार-विमर्श किया गया। ये प्रस्ताव अब लोकसभा में पेश किए गए हैं और इन्हें लोकसभा में मंजूरी मिलने के बाद राज्यसभा में भी पेश किया जाएगा।
Article 370 हटने के बाद J&K में विधानसभा सीटों को बढ़ाने का प्रावधान
5 अगस्त, 2019 को सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 (Article 370) को समाप्त कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था। नया विधेयक अब इसे और भी महत्वपूर्ण बना रहा है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों को बढ़ाने का प्रावधान करता है। इस नए कानून के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सम्मिलित सीटों की संख्या 114 तक पहुंचेगी।
Article 370: जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा सीटें
आपको बता दें कि 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें से 24 सीटें पीओके (आजाद जम्मू और कश्मीर) में स्थित है और इसलिए वहाँ चुनाव नहीं कराएं जा सकते। इसका मतलब है कि कुल 87 सीटें चुनी जा सकती थीं। लेकिन लद्दाख के अलग हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में कुल 83 सीटें बची थीं। हालांकि एक नया बिल कानून बनने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटें बढ़कर कुल 90 हो जाएंगी। इसमें जम्मू में 6 सीटें और कश्मीर में एक सीट जोड़ी जाएगी।
सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान
यह विधेयक एससी-एसटी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, उन व्यक्तियों को सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा माना जाएगा जिनके निवास स्थान गांवों, एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के क्षेत्रों के आसपास हैं और सरकार ने उन्हें पिछड़ा घोषित कर रखा है।