Baby Screen Time: बच्चों के लिए बड़ा खतरा हर मां-बाप को जरूर देखना चाहिए…

Baby Screen Time

Baby Screen Time: आजकल, हर घर में मोबाइल का उपयोग काफी बढ़ गया है। स्कूली बच्चे भी अपने होमवर्क को करने के लिए मोबाइल और टैबलेट का ऑनलाइन सहायता लेते हैं। इस संदर्भ में, यह सवाल उठता है कि बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम कितना नुकसानकारी है। आइए, हम देखते हैं कि विशेषज्ञ क्या कहते हैं।

पीएम मोदी के द्वारा याद दिलाई गई बच्चों के स्क्रीन समय की चेतावनी

प्रधानमंत्री मोदी परीक्षा के दौरान बच्चों के लिए स्क्रीन समय पर चिंता व्यक्त की हैं। एम्स के डॉक्टरों ने बच्चों में बढ़ते मायोपिया (दूर की चीजें स्पष्ट नहीं दिखाई देने) की एक वजह के रूप में अधिक स्क्रीन समय का जिक्र किया है। एम्स के मार्गदर्शन के अनुसार, एक दिन में अधिकतम दो घंटे से अधिक स्क्रीन समय नहीं होना चाहिए (Baby Screen Time)। आई एक्सपर्ट भी इसे कहते हैं कि जितनी छोटी स्क्रीन होगी, उतनी अधिक समस्या बढ़ेगी, और बड़ी स्क्रीन की बजाय मोबाइल पर काम करना आंखों पर अधिक दबाव डालेगा। एम्स के डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि यदि यही स्थिति बनी रही तो 2050 तक 40 से 45 प्रतिशत बच्चे मायोपिया के शिकार हो सकते हैं। इसके लिए एम्स के निर्देशों का पालन करना चाहिए। (Baby Screen Time)

एम्स के चीफ डॉक्टर की चौंकाने वाली रिसर्च

एम्स के आरपी सेंटर के मुख्य डॉ. जी. एस. तितियाल ने कहा कि 2015-16 तक स्कूली बच्चों में 10 से 12 प्रतिशत में मायोपिया होता था, लेकिन कोरोना महामारी के बाद बच्चों का डिजिटल समय काफी बढ़ गया है, जिसके कारण अब इसमें भी वृद्धि हो रही है। (Baby Screen Time) एक अध्ययन जारी है, जिसमें कोविड-19 से पहले, कोविड-19 के दौरान, और कोविड-19 के बाद की स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है। डॉक्टर ने बताया कि मायोपिया में आंख की पुतली का आकार बढ़ जाता है और इसके कारण प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बल्कि इससे थोड़ा अलग दिशा में बनता है। इससे दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं, लेकिन पास की चीजें ठीक से दिखती हैं। Baby Screen Time

बच्चों का स्क्रीन समय कई घंटों तक बढ़ गया है

सेंटर फॉर साइट के डायरेक्टर डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा है कि स्क्रीन समय की बढ़त से स्कूली बच्चों में मायोपिया बढ़ गई है, उनके चश्मे की पावर भी बढ़ रही है। ओपीडी में भी इस प्रकार के रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। समस्या यह है कि लोग स्क्रीन समय प्रबंधन के प्रति अवगत नहीं हैं। लगातार बच्चे छोटे स्क्रीन पर काम करते हैं, पढ़ाई करते हैं, खेलते हैं और स्क्रीन समय कई घंटों तक चलता रहता है। उन्होंने कहा कि अब बच्चों में आउटडोर गतिविधि कम हो गई है, वे धूप में कम जा रहें हैं। Baby Screen Time

बड़े स्क्रीन पर काम करना बेहतर हो सकता है

डॉ. तितियाल ने कहा कि हमारे मार्गदर्शन के अनुसार 15 साल से कम आयु के बच्चों के लिए दिन में दो घंटे से अधिक स्क्रीन समय नहीं होना चाहिए। हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लेना चाहिए और 20 मीटर की दूरी से देखना चाहिए। इससे आँखों को आराम मिलता है और मांसपेशियों पर दबाव नहीं पड़ता। कमरे की रोशनी को भी ध्यान में रखना चाहिए। जहां बैठे हैं, वहां से पीछे से रोशनी आनी चाहिए, न कि सामने से। पढ़ाई के लिए टेबल और कुर्सी का उपयोग करें, सोफा या पलंग पर बैठकर नहीं पढ़े। उचित पोशचर का उपयोग करना चाहिए। बड़ी स्क्रीन बेहतर हो सकती है क्योंकि इससे व्यक्ति की दूरी कम से कम 5 फ़ीट से बढ़ जाती है। Baby Screen Time

आउटडोर ऐक्टिविटी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है

डॉक्टर तितियाल ने इसका सुझाव दिया कि स्कूल में एक बार आउटडोर खेल का अवश्यक होना चाहिए और घर पर भी रोज़ाना बच्चों के लिए एक घंटा आउटडोर का समय होना चाहिए। साथ ही, स्कूलों को एक साल में एक बार सभी छात्रों का दृष्टि परीक्षण करवाना चाहिए, क्योंकि शिक्षक को यह पता होता है कि कौन-कौने छात्र दृष्टि समस्या का सामना कर रहे हैं। उन छात्रों का जिन्हें चश्मा पहनना हो, उनकी जाँच को साल में एक बार जरूर करना चाहिए, क्योंकि उनकी दृष्टि में सुधार की आशंका हो सकती है। शिक्षकों और माता-पिता के साथ सलाहकारी चर्चा भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे इस समस्या को समझ सकें और इसके प्रति सावधानी बरत सकें। Baby Screen Time

Baby Screen Time सावधानी के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

  • 3 साल से पहले: कोई स्क्रीन समय नहीं देना चाहिए।
  • 6 साल से पहले: इंटरनेट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • 9 साल से पहले: वीडियो गेम्स से दूर रहना चाहिए।
  • 12 साल से पहले: सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

अधिक स्क्रीन समय का प्रयोग करने पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है:

  • सबसे पहला प्रभाव बच्चों की दृष्टि पर हो रहा है, जिससे उनकी आँखों की रौशनी पर बुरा असर पड़ रहा है।
  • स्क्रीन को नजदीक से और लंबे समय तक देखने से आँखें सूखने लगती हैं।
  • इस तरह के अवस्था में आँखों की रौशनी कम हो सकती है।
  • छोटे बच्चों में भाषा विकृतियों और देर से बोलने की समस्या आ सकती है।

स्क्रीन का सही तरीके से प्रयोग कैसे करें:

  • घर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के लिए एक स्थित समय निर्धारित करें।
  • बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी उपकरण का प्रयोग करना चाहिए।
  • बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें।
  • मोबाइल, टैबलेट, या टीवी का उपयोग देर रात तक न करें, खासकर बेडरूम में नहीं।
  • बच्चों के मोबाइल फोन को रात को अपने कमरे में ही रखें।

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