Earthquake: नेपाल में आए भूकंप के चलते अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 6.4 तीव्रता वाले भूकंप (Earthquake) के झटकों से उत्तर भारत भी हिल गया। पिछले कुछ महीनों में दिल्ली एनसीआर और उत्तर भारत में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। आमतौर पर, भूकंप का केंद्र हिंदुकुश पर्वतमाला में होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें बड़े भूकंप के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। हिमालयी क्षेत्र में इंडियन टेक्टोनिक और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के कारण कभी भी एक बड़ा भूकंप आ सकता है।
क्या है Earthquake की वजह
इंडिया टु़डे की रिपोर्ट के अनुसार, सीस्मोलॉजिस्टों ने बताया कि नेपाल में केंद्रीय बेल्ट में सक्रिय ऊर्जा रिलीजिंग सेक्टर है। उन्होंने इसका जिक्र किया कि 3 अक्टूबर को नेपाल में भूकम्पों के कई झटके आए थे। इन भूकम्पों का इलाका वही था जहाँ अब यह सक्रिय हो रहा है, जो नेपाल की केंद्रीय बेल्ट में स्थित है। वैज्ञानिकों के अनुसार, करोड़ों साल पहले, भारतीय प्लेट ने सागर की ओर बढ़ने और युरेशियन प्लेट से टकराने के कारण हिमालय का निर्माण हुआ था। वर्तमान में भी इंडियन प्लेट उत्तर की ओर बढ़ रही है और इसके परिणामस्वरूप, हिमालय के नीचे ऊपर की ओर दबाव बढ़ रहा है। यह दबाव एक महत्वपूर्ण भूकम्प (Earthquake) के रूप में प्रकट हो सकता है, हालांकि यह साफ़ नहीं है कि ऐसा कब होगा।
दरअसल धरती के अंदर सात प्लेट्स हैं जो कि चलायमान रहती हैं। इन प्लेटों के बीच टकराव होता है तो दबाव पैदा हो जाता है और प्लेटें टूटने लगती हैं। जब नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है तो भूकंप बन जाता है। जहां से यह एनर्जी रिलीज होती है वहां सबसे ज्यादा कंपन होता है और भूकंप (Earthquake) की तीव्रता सबसे ज्यादा होती है। केंद्र से दूरी बढ़ने पर इसका प्रभाव भी कम हो जाता है। भूकंप का केंद्र जितना गहराई में होता है भूकंप का असर भी उतना ज्यादा दूर तक होता है।
रिक्टर मैग्नीट्यूट टेस्ट स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप (Earthquake) की तीव्रता अगर 0 से 1.9 के बीच होती है तो इसे सीज्मोग्राफ से ही पता लगाया जा सकता है। यह महसूस नहीं होता। 2 से 2.9 के बीच भूकंप से हल्का कंपन महसूस होता है। 3 से 3.9 के बीच होने से हल्का चक्कर आने जैसा हो सकता है। 4 से 4.9 तीव्रता होने पर पंखे हिलने लगते हैं। 5 से 5.9 तीव्रता होने पर फर्नीचर गिर सकते हैं। 6 से 6.9 की तीव्रता से इमारतों में दरार आ जाती है। 7 से 7.9 तीव्रता होने पर इमारतें गिर जाती हैं। 8 से 8.9 तीव्रता पर इमारतें और बड़े-बड़े पुल बी गिर जाते हैं। अगर 9 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आ गया तो सुनामी का खतरा बन जाता है।
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