Chandrayaan-3: Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब चांद पर पहुंच गए हैं। 23 अगस्त यानि बुधवार की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। भारतीय स्पेस एजेंसी यानि ISRO ने इस खुशी को दुनिया के साथ शेयर किया और इसके साथ ही वैज्ञानिक आगे के मिशन में जुट गए। इसके बाद अगले दिन गुरुवार सुबह इसरो की तरफ से बताया गया कि प्रज्ञान रोवर अब बाहर आ गया है और चांद पर चहलकदमी करने लगा है। लेकिन हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि ‘विक्रम’ और ‘प्रज्ञान’ अगले 14 दिनों तक चांद पर क्या करने वाले हैं ?
Highlights…
चांद का 1 दिन,पृथ्वी के 14 दिन
दरअसल विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद पर 14 दिनों तक मिशन को पूरा करेंगे। समझने वाली बात है कि पृथ्वी पर 14 दिन और चांद पर 1 दिन होगा। 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय हुआ है और 14 पृथ्वी दिन तक वहां रोशनी रहेगी। विक्रम और प्रज्ञान को अपना काम करने के लिए सौर ऊर्जा से पावर लेने की जरूरत होगी। 5 सितंबर तक दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की रोशनी रहेगी तो ये दोनों आसानी से अपना काम कर पाएंगे।
14 दिन बाद क्या होगा इस मिशन का ?
इसरो बता चुकी है कि चंद्रमा पर 14 दिनों बाद रात हो जाएगी। रात होते ही वहां का तापमान शून्य से बहुत अधिक नीचे माइनस 300 डिग्री तक लुढ़क जाएगा। ऐसे हालात में प्रज्ञान और विक्रम डिएक्टिवेट हो जाएंगे। मुमकिन है कि उनके उपकरण बर्बाद हो जाएंगे और 14 दिनों की रात के बाद जब फिर से दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य उगेगा, विक्रम और प्रज्ञान काम नहीं करेंगे। हालांकि अगर वो फिर से काम कर पाते हैं, तो यह भारत के मून मिशन की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटेंगे विक्रम और प्रज्ञान (Chandrayaan-3) ?
अगर आपके मन में ये सवाल है कि Chandrayaan-3 मिशन के बाद विक्रम और प्रज्ञान वापस आएंगे तो ऐसा नहीं होगा। क्योंकि ना तो विक्रम लैंडर, ना ही प्रज्ञान रोवर धरती पर वापस आएगा। दोनों जबतक चंद्रमा पर काम करेंगे तबतक इसरो उनके डाटा का इस्तेमाल अपने फ्यूचर मिशन्स के लिए करेगा। जब दोनों का जीवन खत्म हो जाएगा उसके बाद भी वो चांद पर ही रह जाएंगे। हालांकि प्रज्ञान और विक्रम भले ही कभी पृथ्वी पर ना लौट पाएं, लेकिन उनके द्वारा भेजी गई जानकारी मिशन मून और आने वाले मिशन्स के लिए बहुत काम आएगी।
इस मिशन से क्या हासिल हो सकता है?
अगल बात करें मिशन से रिजल्ट की तो इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया है कि Chandrayaan-3 मिशन के निष्कर्ष चांद पर पानी और बर्फ की जानकारी को मजबूत कर सकते हैं। साथ ही साथ भविष्य के होने वाले मिशन के लिए चांद पर पानी और बर्फ की मौजूदगी होना सबसे अहम चीज हो सकती है। अगले 14 दिनों में 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर कई तरह के प्रयोग करेगा।
14 दिन क्या-क्या करेगा ‘Chandrayaan-3’, चंद्रमा पर इंसान बस सकता है या नहीं…समझिए आसान भाषा में…