Chandrayan-3: चंद्रयान-3 अब चांद से सिर्फ 25KM दूर

Chandrayan-3

Chandrayan-3 के दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन शनिवार-रविवार की रात को 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा किया गया। इस ऑपरेशन के बाद, चंद्रमा पर लैंडर की न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में, अंतरिक्ष यान की गति को धीमा कर दिया गया है।

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया कि अब Chandrayan-3 लैंडर की आंतरिक जांच की जाएगी और सूरज की किरनें लैंडिंग स्थल पर नहीं पड़ने तक इंतजार किया जाएगा। 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे, सबसे कम दूरी वाली ऊंचाई, जिस पर सॉफ़्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा, 25 किमी होगी।

चांद पर अशोक स्तंभ की प्रमाणिका प्रज्ञान रोवर द्वारा छोड़ी जाएगी

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के परियोजना निदेशक एम्. अन्नादुरई के अनुसार, 23 अगस्त की शाम को Chandrayan-3 के लैंडर को 25 किलोमीटर की ऊँचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट का समय लगेगा। यह समय सबसे महत्वपूर्ण होगा।

इसके बाद, विक्रम लैंडर से रैम्प के माध्यम से छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और जब इसे इसरो से कमांड मिलेगा, तो यह चंद्र की सतह पर आगे बढ़ेगा। इस समय के दौरान, रोवर के पहिए चंद्र की धरती पर भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की मुद्रा को छापेंगे।

Chandrayan-3 ने चंद्रमा की छवियों को कैद किया

इससे पहले, 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था। अलगाव के बाद, लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल को धन्यवाद दिया। इस दौरान, लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की छवि के साथ चंद्रमा की छवियाँ भी कैद की।

4 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर…

डीबगिंग कैसे पूरा हुआ: Chandrayan-3 के लैंडर में 800 न्यूटन की शक्ति वाले 1-1 थ्रस्टर थे, जिनकी मदद से लैंडर के चार पैरों ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इसमें दो-दो थ्रस्टरों की 2 चरणों में उपयोग हुआ।


लैंडिंग में कितनी चुनौतियाँ:
उचाई 25 किमी से लैंडिंग प्रक्रिया आरंभ होगी। लैंडर को 1680 मीटर प्रति सेकंड से 2 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार पर लाना होगा।


23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों: लैंडर और रोवर दोनों सौर पैनलों का उपयोग शक्ति उत्पन्न करने के लिए करेंगे। वर्तमान में चंद्रमा पर रात्रि है और 23 अगस्त को सूर्योदय होगा।

चंद्रयान-3 क्या काम करेगा: प्रोपल्शन मॉड्यूल भूमि से आने वाले विकिरणों का अध्ययन करेगा। लैंडर और रोवर सतह पर पानी की खोज के साथ-साथ अन्य प्रयोग भी करेंगे।

5 अगस्त को चंद्रमा की पथशाला में पहुंचा था

22 दिनों के यात्रा के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम के लगभग 7:15 बजे चंद्रमा की पथशाला में पहुंचा। उस समय उसकी गति को कम किया गया था, ताकि यान चंद्रमा की आकर्षण शक्ति में पकड़ सके। गति को कम करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने यान के चेहरे को पलटकर 1,835 सेकंड यानी लगभग आधे घंटे तक जिल्ला दिया। यह प्रक्रिया शाम के 7:12 बजे शुरू हुई थी।

Chandrayan-3 ने चांद की तस्वीरों को कैप्चर किया

चंद्रयान ने जब पहली बार चंद्रमा की पथशाला में प्रवेश किया, तो उसका आकार 164 किमी x 18,074 किमी था। पथशाला में प्रवेश करते समय यान की ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी लिया। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो साझा किया।

मैं Chandrayan-3 हूँ… मुझे चांद की गुरुत्वाकर्षण महसूस हो रहा है

मिशन की जानकारी देते हुए इसरो ने एक्स पोस्ट में चंद्रयान के भेजे गए संदेश को लिखा था, ‘मैं Chandrayan-3 हूँ… मुझे चांद की गुरुत्वाकर्षण महसूस हो रहा है।’ इसरो ने यह भी बताया था कि चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान को कुल 4 बार अपनी ऑर्बिट को कम करना होगा। उसने रविवार को एक बार ऑर्बिट को कम कर लिया है।

थ्रस्टर तब प्रयुक्त किया गया था जब चंद्रमा आकाशमंडल में सबसे निकट था

इसरो ने बताया कि पेरिल्यून में रेट्रो-बर्निंग का आदेश मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स), इस्ट्रैक, बैंगलोर से दिया गया था।

  • पेरिल्यून, जो बिंदु होता है जहाँ चंद्र कक्षा में चंद्रमा के सबसे निकट आता है।
  • रेट्रो-बर्निंग, जिसे यान के थ्रस्टर को उलटी दिशा में जलाने के लिए कहा जाता है।
  • यान की गति को धीमी करने के लिए उलटी दिशा में थ्रस्टर को प्रयुक्त किया जाता है।

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