Saturday, December 14, 2024

Rajya Mata Cow: महाराष्ट्र में गाय बनी ‘राज्यमाता’, इस बड़े फैसले से क्या बदलेगा? बिहार से लेकर यूपी तक राज्य पशु क्या

Rajya Mata Cow: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल कभी भी बज सकता है। उससे पहले राज्य में महायुति (बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और अजित पवार की एनसीपी) सरकार ने देशी गाय को राज्य पशु का दर्जा दिया है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह निर्णय गाय के सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस मुद्दे को लेकर काफी समय से मांग की जा रही थी।

देशी गायों को ‘Rajya Mata Cow’ घोषित करने की मंजूरी दी

राज्य के कृषि, डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य विभाग की ओर से सोमवार (30 सितंबर) को जारी बयान में कहा गया, “वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति, मानव आहार में देशी गाय के दूध की उपयोगिता, आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति, और जैविक कृषि प्रणालियों में गोबर एवं गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए अब देशी गायों को ‘राज्यमाता गौमाता’ घोषित करने की मंजूरी दी गई है।

Rajya Mata Cow को पालने के लिए मिलेगी सब्सिडी

इस निर्णय पर बात करते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “देशी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान समान हैं। इसलिए, हमने उन्हें राज्यमाता का दर्जा देने का निर्णय लिया है। हमने गोशालाओं में देशी गायों के पालन-पोषण के लिए सब्सिडी देने का भी निर्णय लिया है।

राज्य पशु घोषित करने की क्या है प्रक्रिया?

राज्यों के लिए राज्य पशुओं का चयन मुख्य रूप से प्रजातियों की बहुतायत, उनकी संकटग्रस्त स्थिति और क्षेत्रीय मूल के आधार पर किया जाता है। राज्य पशुओं के चयन का उद्देश्य स्थानीय प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना और लोगों में इन पशुओं के प्रति गर्व और सम्मान की भावना विकसित करना है। इससे न केवल जागरूकता बढ़ती है बल्कि संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलता है। हालांकि, किसी राज्य पशु की घोषणा के लिए कोई विशेष प्रक्रिया निर्धारित नहीं है। राजस्थान में चिंकारा को 22 मई, 1981 को राज्य पशु घोषित किया गया था। इसके अलावा, ऊंटों की घटती संख्या पर नियंत्रण के लिए 2014 में ऊंट को भी राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया।

गाय को राज्य माता घोषित करने से क्या बदलेगा?

यदि गाय को राज्य का पशु घोषित किया जाता है, तो इससे कई बदलाव हो सकते हैं। इनमें गायों को जबरन गर्भवती बनाना या कृत्रिम गर्भाधान करना गैर-कानूनी हो सकता है, साथ ही गायों से अप्राकृतिक तरीकों से अधिक दूध उत्पादन करवाने पर भी प्रतिबंध लग सकता है। दूध न देने वाली गायों को कसाईखानों में बेचने वालों पर कड़ी सजा का प्रावधान हो सकता है। इसके साथ ही, गायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून बनाए जा सकते हैं, जिससे गायों को बूचड़खानों में जाने से रोका जा सकेगा और उनके प्रति किसी भी प्रकार के अत्याचार और गौ-हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

भारतीय संस्कृति में गाय को माता का स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय को कामधेनु के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि वह सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली है। सरकार का मानना है कि इस कदम से गोकशी और तस्करी पर अंकुश लगेगा, साथ ही राज्य में गायों का सम्मान और सुरक्षा भी बढ़ेगी।

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?

यदि गाय को राज्य का पशु घोषित किया जाता है, तो इससे कई बदलाव हो सकते हैं। इनमें गायों को जबरन गर्भवती बनाना या कृत्रिम गर्भाधान करना गैर-कानूनी हो सकता है, साथ ही गायों से अप्राकृतिक तरीकों से अधिक दूध उत्पादन करवाने पर भी प्रतिबंध लग सकता है। दूध न देने वाली गायों को कसाईखानों में बेचने वालों पर कड़ी सजा का प्रावधान हो सकता है। इसके साथ ही, गायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून बनाए जा सकते हैं, जिससे गायों को बूचड़खानों में जाने से रोका जा सकेगा और उनके प्रति किसी भी प्रकार के अत्याचार और गौ-हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

भारतीय संस्कृति में गाय को माता का स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय को कामधेनु के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि वह सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली है। सरकार का मानना है कि इस कदम से गोकशी और तस्करी पर अंकुश लगेगा, साथ ही राज्य में गायों का सम्मान और सुरक्षा भी बढ़ेगी।

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