Sunday, December 15, 2024

‘एक देश एक चुनाव’ कमेटी का गठन: रामनाथ कोविंद अध्यक्ष, कांग्रेस का सवाल – क्यों अचानक हुआ यह निर्णय ?

“एक देश एक चुनाव” के बारे में केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया है। पीटीआई के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। आज इसका नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संभावना है कि एक देश-एक चुनाव के संबंध में सरकार एक विधेयक भी प्रस्तुत कर सकती है।

केंद्र सरकार द्वारा गठित की गई समिति एक देश-एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर ध्यान देगी। साथ ही, यह सामान्य लोगों से भी सुनवाई करेगी। इस दौरान, भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा कोविंद से मिलने उनके आवास पहुंचे, हालांकि इस मुलाकात का कारण प्रकट नहीं हुआ है।

‘एक देश एक चुनाव’ पर नेता और सांसदों ने दिया तीखा जवाब, क्या होगा आगे ?

सरकार के इस पहल पर, लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिरकार, एक देश एक चुनाव की सरकार की आवश्यकता क्यों हुई। उन्होंने पूछा, “व्यक्तिगत रूप से, इस स्वतंत्र प्रणाली की आवश्यकता क्यों पड़ गई?” वहीं, कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूँ। यह कोई नई बात नहीं है, यह पुराना विचार है।”

इस दौरान, संसदीय कार्यमंत्री, प्रह्लाद जोशी ने कहा, “अभी तो समिति बनी है, इस पर घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर जनसार में चर्चा होगी, संसद में चर्चा होगी। समिति बन गई है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह कल से ही लागू हो जाएगा।”

One Nation One Election

Opposition की ओर से कहा गया – सरकार को पहले विश्वास करना चाहिए था

शिवसेना (उद्धव गट) के सांसद संजय राउत ने कहा कि BJP डर गई है। वन नेशन, वन इलेक्शन को मुद्दों से हटाने का प्रयास किया जा रहा है। सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि संसदीय व्यवस्था की सभी मान्यताओं को यह सरकार तोड़ रही है। यदि विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए था, तो सरकार को कम से कम सभी विपक्षी पार्टियों के साथ अनौपचारिक तौर पर बात करनी चाहिए थी। अब किसी को नहीं पता है कि एजेंडा क्या है और सत्र क्यों बुलाया गया है। LJP (राम विलास) चीफ चिराग पासवान ने कहा, ‘हमारी पार्टी ‘एक देश एक चुनाव’ का समर्थन करती है। इसे लागू करना चाहिए।’

क्या है एक देश एक चुनाव ?

वन नेशन-वन इलेक्शन (एक देश एक चुनाव) का मतलब होता है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं। स्वतंत्रता के बाद, 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इसके कारण, एक देश एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

“एक देश एक चुनाव” के समर्थन में मोदी

2014 में, जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तो कुछ समय बाद ही देश में एक चुनाव के बारे में बहस शुरू हुई। मोदी ने कई बार “वन नेशन-वन इलेक्शन” (एक देश एक चुनाव) की प्रोत्साहना की है। संविधान दिवस के मौके पर, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज एक देश-एक चुनाव सिर्फ़ एक विवाद नहीं है, यह भारत की आवश्यकता है। इसलिए इस मुद्दे पर गहरा विचार और अध्ययन करना चाहिए।

विशेष सत्र बुलाने की घोषणा

एक दिन पहले एक “देश एक चुनाव” की चर्चा के बीच, केंद्र सरकार ने संसद का एक विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी दी – इस विशेष सत्र का आयोजन 18 से 22 सितंबर के बीच किया जाएगा। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा, और इसमें 5 बैठकें आयोजित की जाएँगी। प्रह्लाद जोशी ने यह भी बताया कि इस सत्र के लिए कोई विशेष एजेंडा तय नहीं किया गया है। उन्होंने जानकारों के साथ पुराने संसद भवन की एक तस्वीर साझा की है। माना जा रहा है कि यह सत्र पुराने संसद भवन में आयोजित होगा, और नए संसद भवन में समाप्त होगा।

संसद में वर्ष में तीन सत्र होते हैं – बजट, मानसून, और शीत सत्र। मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चला था, और विशेष सत्र का आयोजन मानसून सत्र के 3 हफ्ते बाद किया गया है। इसे 37 दिनों के अंतराल के बाद आयोजित किया जाएगा। शीतकालीन सत्र का आयोजन नवंबर के आखिरी हफ्ते में किया जाने की योजना है।

5 दिन के सत्र और 5 संभावनाएं

  1. महिलाओं को संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देने का प्रस्ताव।
  2. नए संसद भवन में शिफ्ट करने का विचार।
  3. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल की संभावना।
  4. लोकसभा और विधानसभा चुनावों को समय पर आयोजित करने का प्रस्ताव।
  5. आरक्षण के संबंध में संभावित प्रावधान। (OBC के केंद्रीय सूची में उप-वर्गीकरण, 2017 में बने रोहिणी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण के वितरण की अध्ययन संबंधित जानकारों द्वारा किए जा रहे हैं।)

महिला सीट… पुराने फॉर्मूले को नए रूप में ला सकते हैं

सरकार महिलाओं को 33% आरक्षण देने की जगह लोकसभा में उनके लिए 180 सीटें बढ़ा सकती है। ऐसी प्रणाली 1952 और 1957 के चुनावों में एससी-एसटी सीटों के लिए थी। तब 89 और 90 सीटों पर एक से अधिक प्रत्याशी चुने जाते थे। बाद में सीमाबद्धता के बाद इस प्रणाली को खत्म किया गया।

वर्तमान में उन सीटों पर जहां वोटर 20 लाख से ज्यादा हैं, वहां एक सामान्य और एक महिला उम्मीदवार का चयन किया जा सकता है। देश में ऐसी 180 सीटें हैं, जहां वोटर 18 लाख से अधिक हैं। सभी पार्टियां महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग कर रही हैं। अगर सरकार इस कदम पर कदम रखती है, तो यह 2024 के लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

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