Thursday, December 12, 2024

G20 Summit India: प्रधानमंत्री मोदी बने विश्व के राष्ट्राध्यक्ष!

G20 Summit India: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोकशिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष तथा परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विश्व आज भारत को हर प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एक समान साझीदार के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज विश्व के सबसे वरिष्ठ राष्ट्राध्यक्ष हैं और सभी राष्ट्राध्यक्ष उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। (G20 Summit India)

G20 Summit India: 8 बिलियन डॉलर का अंतरिक्ष व्यवसाय

एक प्रमुख राष्ट्रीय पत्रिका को दिए गए एक विशिष्ट साक्षात्कार में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘अब हमारा अधिकांश देश के साथ सहयोग है। रूस और अमेरिका के साथ सहयोग का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि अब हम कमतर नहीं रह गए हैं। अब हम समान साझीदार हैं और कई मायनों में हम समान से भी अधिक हैं। उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष सेक्टर में अब हम अमेरिका और रूस को अपनी सेवाएं उधार दे रहे हैं – हम पहले ही 170 मिलियन डॉलर से अधिक तथा 250 मिलियन यूरो से ज्यादा की आय अर्जित कर चुके हैं। अब हम 8 बिलियन डॉलर (66,000 करोड़ रुपये) का अंतरिक्ष व्यवसाय करते हैं, लेकिन जिस गति से हम आगे बढ़ रहे हैं, भारत 2040 तक 40 बिलियन डॉलर (3.3 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच सकता है, जबकि हाल की एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट, एडीएल रिपोर्ट में कहा गया है कि हम 100 बिलियन डॉलर तक भी जा सकते हैं।” (Space Startups)

भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विश्वभर में अब से समस्त विकास मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी आधारित होने जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान अधिकतर द्विपक्षीय समझौते विज्ञान और नवोन्मेषण पर आधारित थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ इसरो के समक्ष अगली बड़ी परियोजना है। उन्होंने कहा, ‘‘इसरो के अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन को साकार करने के लिए देश भर में अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जोर-शोर से काम चल रहा है। उन्होने बताया कि स्वदेशी तौर पर बनाए गए ‘मानव-रेटेड’ रॉकेट लॉन्चर और क्रू मॉड्यूल का निर्माण करके तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया जा सके। भारतीय वायु सेना के तीन पायलट ध्वनि की गति से 10 गुना अधिक तेजी से अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने और फिर शून्य गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में रहने के लिए कठोर प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं। अब तक केवल तीन देशों – अमेरिका, रूस और चीन ने अंतरिक्ष में स्वयं के मानव मिशन भेजे हैं। (G20 Summit India)

अंतरिक्ष मिशनों में अत्यधिक बढोतरी हुई

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नरेन्द्र मोदी का 2020 में केवल इसरो के अलावा रॉकेट एवं उपग्रहों के विनिर्माण के लिए अंतरिक्ष सेक्टर को निजी उद्योग के लिए खोलने के निर्णय को एक ‘‘गेम चेंजर” करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘एक बात बार बार साबित हुई है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमारे पास प्रतिभा है, हमारे पास क्षमता है और हमारे पास मानसिक शक्ति है – बहुत लंबे समय तक, हमने अनावश्यक रूप से गोपनीयता का पर्दा रखा और खुद को इसरो तक सीमित रखा।” उन्होंने कहा, ‘‘आदित्य-एल 1, गगनयान और वीनस आर्बिटर के अतिरिक्त, हम निजी सेक्टर से बड़ी संख्या में लांच करने जा रहे हैं। यह भी तब हुआ जब प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए पूरी तरह से खोलने का साहसिक निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, हमारे अंतरिक्ष मिशनों में अत्यधिक बढोतरी हुई है।” (G20 Summit India)

अंतरिक्ष सेक्टर में 150 से अधिक निजी स्टार्टअप्स

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सिनर्जी की प्रक्रिया जारी है और केवल तीन वर्षों में हमारे पास अंतरिक्ष सेक्टर में 150 से अधिक निजी Space Startups हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी सेक्टर के बीच की सीमा रेखा को ध्वस्त किया जा रहा है और यह पूरी तरह से एक समेकित दृष्टिकोण होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही प्रगतिशील सोच है क्‍योंकि अब से, अगर हमें आगे बढ़ना है तो हमें संपूर्ण रूप से और समग्र तरीके से आगे बढ़ना होगा। हम केवल सरकारी संसाधनों पर निर्भर नहीं रह सकते। अगर हमें अपने लिए एक वैश्विक भूमिका की कल्पना करनी है तो हमें एक वैश्विक कार्यनीति के साथ वैश्विक मापदंडों पर खरा उतरना होगा। अमेरिकी अब यही कर रहे हैं, नासा अब सरकारी संसाधनों पर निर्भर नहीं है।” (G20 Summit India)

क्या है राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन का उद्देश्य?

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संसद के पिछले मानसून सत्र के दौरान पारित एक अधिनियम द्वारा स्थापित अनुसंधान राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) का उद्देश्य अनुसंधान एवं शिक्षा क्षेत्र में संसाधनों का एक समान वित्त पोषण और लोकतंत्रीकरण करना है। उन्होंने कहा, ‘‘अब निजी उद्योग के निवेश के अतिरिक्त, हमारे पास यह पूरा इकोसिस्टम है जिसमें वह कानून शामिल है जो व्यय किए जाने के लिए 50,000 करोड़ रुपये का आवंटन करता है जिसमें 36,000 करोड़ रुपये गैर-सरकारी सेक्टर से आते हैं।” (G20 Summit India)

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