Friday, December 13, 2024

Global Warming: मानव जीवन पर मंडराया संकट, वैज्ञानिक शोध में बड़ा खुलासा… आदमी के सांस लेने से गर्म हो रही है धरती! पढिए पूरी अपडेट

Global Warming: विशेषज्ञों के अनुसार आदमी के सांस लेने से भी धरती गर्म हो रही है! एक नए अध्ययन ने एक चौंकाने वाला सत्य सामने लाया है। ग्लोबल वॉर्मिंग शब्द अब दुनिया भर में आम हो गया है। धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे इसके जलवायु तंत्र में बड़ा बदलाव हो रहा है। बाढ़, बवंडर, और जंगलों में आग की घटनाएं अब पहले की तुलना में बढ़ गई हैं। उच्चतम स्थानों पर जमी हुई बर्फ तेजी से पिघल रही है, जैसा कि वैज्ञानिक भी बता रहे हैं। इस नए अध्ययन के अनुसार, आदमी का सांस लेना भी ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ा रहा है।

Global Warming: ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 1% का योगदान

यूनाइटेड किंगडम में वैज्ञानिकों ने एक नए शोध का उल्लेख किया है। जिसमें कहा गया है कि सांस लेने से भी ऐसी गैसों की मात्रा बढ़ रही है, जो Global Warming का कारण बन रही हैं। इस स्टडी को “PLOS One” नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। स्टडी के अनुसार हम जब सांस लेते हैं, तो वातावरण में मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड घुलती है, जो कि यूके में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 1% का योगदान करता है। इसका मतलब है कि सांस लेने के द्वारा मानव धरती को गर्म कर रहा है।

Global Warming: हर व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर फेंकता है

स्टडी की लीड ऑथर डॉक्टर निकोलस कोवान, जो कि यूके के एडिनबर्ग में स्थित सेंटर फॉर ईकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी से जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि धरती को बर्बाद करने के लिए सांस लेना भी जिम्मेदारीपूर्ण है, और इसका प्रमाण अब मौजूद है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि जब मनुष्य सांस लेता है, तो ऑक्सीजन श्वास के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है। यह ऑक्सीजन फेफड़ों में पहुंचती है, जहां से यह खून में मिश्रित होती है। खून में पहले से मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, जो फेफड़ों में जाकर वापस आता है, उसे फिर हम बाहर निकालते हैं। हर व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर फेंकता है।

Global Warming: 104 व्यस्क वॉलंटियर्स पर हुआ शोध

लेकिन नई अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए कहा गया है कि ये दोनों गैसें ग्रीनहाउस प्रभाव के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हो सकती हैं। लेकिन, क्योंकि इनकी बहुत कम मात्रा सांसों के द्वारा ही वातावरण में मिलती हैं। इसलिए इनके उत्सर्जन को अब तक मनुष्यों से अनदेखा किया गया है। हालांकि, मनुष्यों के साथ ही अन्य जीव-जंतु भी मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड को छोड़ते हैं। इस प्रकार से सभी जीवों से निकलने वाली ये गैसें सभी मिलकर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा कर सकती हैं। शोधकर्ताओं ने 104 व्यस्क वॉलंटियर्स पर यह विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने देखा कि नाइट्रस ऑक्साइड प्रत्येक वॉलंटियर द्वारा छोड़ा जा रहा था, लेकिन मिथेन केवल 31 प्रतिशत भागीदारों द्वारा छोड़ा जा रहा था।

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