Govardhan Puja 2023: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली के एक दिन बाद होने वाली गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है और इस दिन गाय के गोबर से पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के बाद गोबर का क्या करना चाहिए इसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें आज हम आपको बता रहे हैं।
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Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा में क्यों करते हैं गाय के गोबर का इस्तेमाल (significance of govardhan in cow dung)
गोवर्धन का पर्व भगवान कृष्ण जी को समर्पित है और यह उनकी इंद्रदेव के खिलाफ जीत को दर्शाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गांव के लोगों को बारिश और भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने पूरा गोवर्धन पर्वत अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली में धारण कर लिया था।
तभी से ही प्रतीक के रूप में गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और इसी की पूजा की जाती है। चूंकि कृष्ण जी को गायों से बहुत ज्यादा प्रेम था, इसलिए इस दिन गोवर्धन बनाने में गाय के गोबर का ही प्रयोग किया जाता है।
Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा के बाद बचे हुए गोबर का क्या करना चाहिए
गोवर्धन पर्वत बनाने में लगे गोबर का ज्योतिष में भी बहुत बड़ा महत्व है और पूजा के बाद भी इस गोबर को सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है। पूजा के बाद इस गोबर को कूड़े या किसी अपवित्र स्थान पर फेंखने से बचना चाहिए।
गोवर्धन के गोबर से आंगन या छत को लीपें
मान्यता है कि आपको गोबर का इस्तेमाल घर के आंगन को लीपने में करना चाहिए जिससे माता लक्ष्मी का आगमन होता है और भगवान कृष्ण की कृपा भी बनी रहती है।
गोवर्धन के गोबर से बनाएं कंडे
पूजा के बाद आप गोवर्धन के बचे हुए गोबर से कंडे तैयार किए जा सकते हैं। और इसका इस्तेमाल घर के अन्य किसी भी काम में किया जा सकता है। इन कंडों को घर में जलाकर वातावरण को शुद्ध भी कर सकते हैं। इन कंडों को आप अच्छी तरह से सुखाकर घर के गार्डन में खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
यदि इन तरीकों से गोवर्धन पूजा के बाद बचे हुए गोबर का इस्तेमाल करती हैं तो सदैव आपके जीवन में खुशहाली बनी रहती है।