IIT Alumni: तमाम युवा 10वीं, 12वीं के बाद भी इंजीनियरिंग में एडमिशन का ख्वाब देखने लगते हैं, इनमें से ज्यादातर आईआईटी में एडमिशन लेना चाहते हैं। आईआईटी यानी इंजीनियरिंग के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान। हर साल लाखों युवा आईआईटी में एडमिशन लेने की दौड़ में रहते हैं। यह भी सच्चाई है कि आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद लाखों-करोड़ों का पैकेज आसानी से मिल जाता है।
कई IITian डिग्री लेते ही विदेश जाने का रास्ता ढूंढते हैं। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं IIT से पासआउट ऐसे 6 लोगों की कहानी (Monks From IIT), जो घर परिवार छोड़कर और सभी मोह-माया त्यागकर संन्यासी बन गए। आप भी पढ़िए इनकी IIT से लेकर संन्यासी बने युवाओं की पूरी कहानी…
HIGHLIGHTS…
IIT Alumni: संदीप कुमार भट्ट
Sandeep Kumar Bhatt IIT: संदीप कुमार भट्ट ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2002 में वह अपने बैच के गोल्ड मेडलिस्ट थे। उन्होंने साल 2004 में एमटेक करने के बाद Larsen & Toubro में 3 साल तक बतौर मैनेजर नौकरी भी की थी। फिर अचानक संदीप कुमार भट्ट का ऐशोआराम वाली जिंदगी से मोह भंग हो गया।
2007 में ही उन्होंने अपनी अच्छीखासी नौकरी छोड़ दी। और सिर्फ 28 साल की उम्र में ही उन्होंने संन्यासी जीवन जीने की राह पकड़ ली। संन्यासी बबने के बाद उन्होंने अपना नाम संदीप कुमार भट्ट से स्वामी सुंदर गोपालदास रख लिया (Swami Sundar Gopaldas)। जानकारी के मुताबिक, संदीप कुमार बिहार के रहने वाले हैं।
IIT Alumni: अविरल जैन
Aviral Jain Monk From IIT: अविरल जैन मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। उन्होंने दयानंद विहार में स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है। उसके बाद जेईई परीक्षा देकर IIT बीएचयू में दाखिला ले लिया था। वहीं से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद अविरल को Walmart कंपनी में जॉब मिल गई थी। उनका वार्षिक पैकेज 30 लाख रुपये था। फरवरी 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और वह विशुद्ध सागरजी महाराज की शरण में चले गए थे। वहां पर लंबे समय तक ध्यान और तपस्या करने के बाद उन्होंने संन्यासी जीवन अपना लिया था।
IIT Alumni: संकेत पारेख
Sanket Parekh: संकेत पारेख फिल्मी नगरी मुंबई के रहने वाले हैं। उन्होंने IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वहां से उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उसके बाद वह अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उससे पहले उनकी अपने एक सीनियर से मुलाकात हुई। लम्बे समय तक चले विमर्श में उस शख्स ने संकेत को जैन धर्म के बारे में गहनता से बताया। संकेत उससे इतने प्रभावित हो गए कि इंजीनियरिंग की राह छोड़ संन्यास धारण कर लिया।
IIT Alumni: रसनाथ दास
Rasanath Das: मुंबई के रहने वाले रसनाथ दास आईआईटी बॉम्बे से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका चले गए थे। साल 2000 में उन्होंने वहां स्थित Deloitte के ऑफिस में जॉब की। उसके बाद उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की। 2006 में रसनाथ दास ने बतौर इन्वेस्टमेंट बैंकर बैंक ऑफ अमेरिका में नौकरी करनी शुरू कर दी। फिर अचानक से सबकुछ छोड़कर वे श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए।
IIT Alumni: स्वामी मुकुंदानंद
Swami Mukundananda: स्वामी मुकुंदानंद बाल्यकाल से ही मेडिटेशन (ध्यान) में काफी रुचि रखते थे। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से बीटेक की पढ़ाई पूरी की है। फिर आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री भी प्राप्त की। उसके बाद जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज के मार्गदर्शन में उन्होंने वैदिक ग्रंथों का अध्ययन शुरू किया। आज वे आध्यात्मिक गुरु, लेखक, वेदों के अच्छे जानकार के तौर पर प्रसिद्ध है। वह ‘द साइंस ऑफ माइंड मैनेजमेंट’ के बारे में लोगों का मार्गदर्शन करते हैं।
IIT Alumni: गौरांग दास
Gaurang Das: गौरांग दास प्रभु इस्कॉन संस्था से जुड़े हुए हैं। उन्होंने दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर इस्कॉन की शिक्षाओं और उद्देश्यों को खूब प्रचारित किया है। वे आज भारत के जाने-माने आध्यात्मिक गुरु के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। 1989 से 1993 के बीच गौरांग दास ने आईआईटी बॉम्बे से Metallurgical Engineering की पढ़ाई की थी। डिग्री मिलने के तुरंत बाद ही 1993 में गौरांग दास इस्कॉन मुंबई के साथ जुड़कर साधु बन गए थे।
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