Friday, December 13, 2024

India Vs Bharat: मुलायम सिंह भी इंडिया को ‘भारत’ बनाना चाहते थे, लेकिन आज अखिलेश…

India Vs Bharat: G20 समिट के दौरान डिनर के लिए भेजे गए निमंत्रण में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखने का विवाद जरा भी थमता नहीं दिख रहा है। कुछ लोग देश के नाम India Vs Bharat के इतिहास को खोजने में लगे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव भी याद आ गए। दरअसल, मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव अपने आखिरी कार्यकाल में विधानसभा में एक प्रस्ताव लेकर आए थे। ये प्रस्ताव संविधान में ‘इंडिया’ से पहले ‘भारत’ नाम लाने का था। यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में पारित भी हो गया था। लेकिन आज उनके पुत्र अखिलेश यादव इस मामले पर इंडिया गुट के साथ हैं।

 India Vs Bharat

2004 लोकसभा चुनाव में सपा मैनिफेस्टो में भी था जिक्र

वर्ष 2004 की बात है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में भी इसकी चर्चा की थी। साथ ही यह वादा भी किया था कि अगर सपा सत्ता में आती है तो देश का नाम ‘भारत’ करेगी। India Vs Bharat पर पार्टी का कहना था कि देश की गरिमा और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए, देश का नाम इंडिया से भारत हो जाना चाहिए। अंग्रेजी के एक अखबार टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक, सपा ने मैनेफेस्टो (2004) में यह कहा था,

“200 सालों के ब्रिटिश शासन में देश के नाम को तोड़-मरोड़कर इंडिया कर दिया गया था। भगवान ही जाने कि संविधान निर्माताओं ने भारत से पहले इंडिया का जिक्र क्यों किया और लगातार क्यों करते रहे.”

India Vs Bharat: विधानसभा में प्रस्ताव लेकर आए थे मुलायम सिंह

इसके बाद 3 अगस्त, 2004 को मुलायम सिंह यादव विधानसभा में एक प्रस्ताव लेकर आए। जिसमें कहा गया कि संविधान में संशोधन कर “इंडिया, दैट इज भारत” के बदले “भारत, दैट इज इंडिया” किया जाना चाहिए। सदन में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से कम समय में ही पारित हो गया। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे पहले भाजपा के विधायक सदन से वॉक आउट कर चुके थे।

कुछ जगहों पर ये खबर भी लिखी है कि भाजपा ने इसी ‘भारत’ वाले प्रस्ताव पर वॉक आउट कर दिया था। हालांकि ‘आज’ अखबार की पुरानी रिपोर्ट से यह पता चलता है कि बीजेपी ने हरिद्वार को उत्तर प्रदेश में शामिल कराने के मुद्दे पर वॉक आउट किया था। ठीक उसी दिन ही ये प्रस्ताव भी लाया गया था।

संविधान का अनुच्छेद-1 कहता है, ‘इंडिया, दैट इज भारत, जो राज्यों का संघ होगा.’ इसका अर्थ है कि अनुच्छेद-1 ‘इंडिया’ और ‘भारत’, दोनों को मान्यता देता है।

भारत नाम को लेकर मुलायम सिंह यादव का स्टैंड राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित था।

India Vs Bharat: इस मामले पर लोहिया देश में अंग्रेजी थोपे जाने का खुला विरोध किया करते थे। हालांकि उन्होंने इसके बदले हिंदी लाने की बात नहीं की थी बल्कि लोहिया ने अंग्रेजी के बदले हिंदुस्तानी ज़बानों की वकालत की थी। उनका यह भी मानना था कि आबादी का एक छोटा हिस्सा जिसे अंग्रेजी में महारत हासिल है, वो उसे सत्ता या स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है। लोहिया के अनुसार, दुनिया के हर देश में सभी सरकारी या सार्वजनिक काम उस भाषा में होते हैं, जिसे वहां के बहुसंख्यक लोग जानते और समझते हैं लेकिन हमारे देश में ठीक इसका उल्टा हो रहा है।

समाजवादी पार्टी के नेता सुनील सिंह यादव समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बताया

“नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने 2004 में यह बात कही थी कि अगर हम सत्ता में आए तो देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत कर देंगे। लेकिन नेताजी का भाव क्या था? भारत का मतलब क्या है, भारत का मतलब गांवों में रहने वाला आदमी, किसान, गरीब. हम बचपन से भारत माता की जय बोलकर ही देश को प्रणाम करते हैं। लेकिन नेताजी की भारत को लेकर यह मंशा थी कि किसान और गरीब की मदद हो।

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