Thursday, December 12, 2024

Kalyan Singh: उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम जिन्होंने राम मन्दिर के लिए त्याग दी थी सीएम की कुर्सी…

Kalyan Singh: आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की जीवन गाथा सुनाने जा रहे हैं जिन्होंने अयोध्या में भगवान राम के मन्दिर के निर्माण के लिए अपने मुखमंत्री पद को ठुकरा दिया लेकिन सीएम रहते हुए सत्ता का जरा भी उपयोग राम के विरुद्ध नहीं होने दिया। हम जिनकी बात कर रहे हैं उनका नाम था कल्याण सिंह।

कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे, जो 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और राजस्थान, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल पद भी संभाला। Kalyan Singh के सीएम कार्यकाल में ही विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया गया था।

Kalyan Singh स्कूल से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे

कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश अलीगढ़ जिले में हुआ। इनके पिता का नाम पिताजी तेजपाल लोधी राजपूत था और माता जी श्रीमती सीता देवी थी। Kalyan Singh स्कूल से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। उनका राजनीतिक सफर अतरौली विधानसभा क्षेत्र से साल 1967 से हुआ उस समय उन्होंने पार्टी भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने और इसके बाद 2002 तक दस बार विधायक बने।

वर्ष 1990 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और अन्य नेताओं ने मिलकर जब राम जन्म भूमि के लिए भव्य राम रथ यात्रा निकाली थी तो उसमें कल्याण सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी । उसके बाद साल 1991 में Kalyan Singh जी को पहली बार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद बीएसपी के समर्थन से 21 सितंबर 1997 को कल्‍याण सिंह ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली।

6 दिसंबर, 1992 की घटना पर Kalyan Singh के बोल

अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढाने के बाद मुख्यमंत्री के पद से त्याग पत्र देने का कारण बताते हुए Kalyan Singh ने कहा था कि उस दिन अयोध्या के अंदर जो कुछ भी हुआ, मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। मैंने कभी ये नहीं कहा कि ये किसी अधिकारी या किसी अन्य की गलती थी।

Kalyan Singh ने कहा था कि यह न कोई प्लानिंग थी और न ही बात की किसी को जानकारी थी। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह ने अयोध्या आकर दृढ़ता से राम मंदिर निर्माण की शपथ ली थी। साथ ही रामलला के दर्शन करके नारा लगाया था कि, राम लला हम आएंगे मंदिर यहीं बनाएंगे। वह नारा आज फलीभूत हो रहा है,

आज राम मन्दिर का निर्माण भी हो रहा है लेकिन इसके लिए जीवन खपाने वाले Kalyan Singh मौजूद नहीं है। कल्याण सिंह के आगमन के बाद अयोध्या में जिस तरह उनका भव्य स्वागत सत्कार हुआ था वैसा आज तक अभी तक किसी का नहीं हुआ। उनका पहला कार्यकाल करीब डेढ़ साल तक ही रहा और बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इनका यह कार्यकाल बहुत कुछ संदेश दे गया।

‘कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने का आदेश स्वीकारा

Kalyan Singh को अपनी स्पष्टता के लिए आज भी याद किया जाता है। वे अपनी स्पष्ट बात बिना लागलपेट के बोल दिया करते थे। राम मंदिर किसी अन्य सवाल, Kalyan Singh ने कभी अपने बचाव का रुख नहीं किया। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि मैंने सुरक्षा के कड़े इंतजामात किए थे, लेकिन कारसेवकों पर गोली पुलिस को एक भी गोली नहीं चलानी है इसका आदेश भी मैंने ही दिया था।

6 सितंबर, 1992 को जो कुछ भी हुआ वह इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो गया, उस घटना की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए कल्याण सिंह ने सीएम पद से अपना त्यागपत्र दे दिया था।

‘राम मंदिर राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न’ – Kalyan Singh

एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू में जब राजीव शुक्ला ने उनसे पूछा कि आप पहली बार मुख्यमंत्री बने थे उस समय बाबरी मस्जिद ढाई गई अब दोबारा बनेंगे तो मथुरा और काशी में भी ऐसा ही सीन होगा क्या ? इस पर Kalyan Singh ने बड़ा ही स्पष्ट जबाब देते हुए कहा था कि भाजपा ने कई बार स्पष्ट भी किया है कि मथुरा और काशी हमारे एजेंडे में नहीं है। लेकिन राम मंदिर के निर्माण के लिए एक सरकार क्या, अगर 10 बार भी सरकारें त्यागनी पड़ें तो हम यह त्याग बार बार करेंगे।

इसी इंटरव्यू के दौरान Kalyan Singh ने यह भी कहा था, कि ‘राम मंदिर को हम किसी जाति,मजहब, राजनीति या वोट बैंक का प्रश्न नहीं मानते यह राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न है.’

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