Thursday, November 14, 2024

Navratri 2023: नवरात्रि में क्यों बोये जाते हैं नोरते ? जानिए इसके पीछे का कान्सैप्ट…

‘नोरते’ हाँ, वोही वाले जोनसे कान पे धरे जाते हैं। म्हारे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नोरतों को ले के वैसे भी बहुत मुहावरे बोले जाते हैं। आईए समझते हैं क्या होते हैं नोरते… क्यों उगाते हैं नोरते …

हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाई जाने वाली शरद नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। यह त्योहार देवी भगवती की नौ रूपों की पूजा के रूप में मनाया जाता है और व्रत रखे जाते हैं। नवरात्रि के दौरान, घरों और मंदिरों में देवी की मूर्ति की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा की जाती है।

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इस त्योहार में नोरते, जौ या ज्वार का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन, कलश स्थापना के दिन, घरों और मंदिरों में नोरते की बोने का महत्व होता है। बिना नोरते के, नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। नोरते के बिना पूजा को पूरा नहीं माना जाता।

नवरात्रि में नोरते (जौ) क्यों बोया जाता है ?

इसका एक धार्मिक रहस्य है। यह जौ देवी दुर्गा के प्रतीक के रूप में माना जाता है और इसके बोने जाने से दुर्गा माता की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्रती अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करते हैं।

नोरते क्यों उगाया जाता है ?

हिन्दू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है। इसका एक पौराणिक मान्यता से संबंध है, जिसके अनुसार जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच पहली फसल के रूप में जौ या ज्वार का उगना था। इसलिए जौ को ‘पूर्ण फसल’ भी कहा जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन, जिसे कलश स्थापना कहा जाता है, जौ के बोने जाने का महत्व होता है।

जौ के बोने जाने के साथ ही कलश स्थापना का आयोजन किया जाता है। इसका मान्यता है कि नवरात्रि में जौ को बोने जाने से देवी भगवती प्रसन्न होती हैं, और देवी दुर्गा के साथ-साथ देवी अन्नपूर्णा और भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। नवरात्रि के दौरान जौ के बोने जाने के बाद, इससे शुभ और अशुभ संकेतों का पता लगाया जाता है। इसके अलावा, देवी-देवताओं की पूजा, हवन, या किसी विशेष अनुष्ठान के दौरान भी जौ का अर्पण किया जाता है।

इसके पीछे का कांसेप्ट क्या है ?

रबी मौसम में जौ बोया जाता है, जिसका मतलब है कि जौ की बुआई अक्टूबर माह में शुरू हो जाती है। इस समय, लोग नवरात्रि से पहले जौ के बीज बोते हैं और यह जांचने का प्रयास करते हैं कि इस साल कितना उत्पादन होगा। इसके अलावा, भगवान को एक प्रकार का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है, ताकि फसल पर उनका आशीर्वाद बना रहे।

यह एक परीक्षण प्रक्रिया है, जिसमें बीज की पैदावार की क्षमता और गुणवत्ता को छांटा जाता है कम स्थानों में, जिससे यह निर्धारित किया जा सकता है कि कितनी अच्छी फसल हो सकती है।

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