Thursday, April 3, 2025

Navratri 2024: देश का ऐसा मंदिर, जहां मुस्लिम परिवार पुजारी, पीढ़ियों से चल रही परंपरा

Navratri 2024: भारत में देवी दुर्गा को समर्पित कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका रहस्य और इतिहास लोगों को आकर्षित करता है। ऐसा ही एक अनूठा मंदिर राजस्थान के जोधपुर में स्थित है, जो माता दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके पुजारी मुस्लिम परिवार से आते हैं, जो पीढ़ियों से देवी दुर्गा की सेवा में लगे हुए हैं। जोधपुर के इस मंदिर में पिछले 13 पीढ़ियों से जलालुद्दीन खां का परिवार माता दुर्गा की पूजा करता आ रहा है। यह परंपरा धर्म और जाति की सीमाओं को तोड़ते हुए चल रही है, और यही बात इस मंदिर को खास बनाती है। जलालुद्दीन खां का परिवार देवी दुर्गा के प्रति गहरी आस्था और श्रद्धा रखता है, और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मां दुर्गा की सेवा में समर्पित कर दी है। Navratri 2024

इस परंपरा की शुरुआत जलालुद्दीन खां के पूर्वजों के साथ हुई थी। कहा जाता है कि उनके पूर्वजों के जीवन में ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने उन्हें माता दुर्गा के प्रति अटूट भक्ति की ओर मोड़ा। तभी से यह परिवार मां दुर्गा की पूजा और मंदिर की देखरेख करता आ रहा है, जो आज भी उसी समर्पण के साथ जारी है। यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि आस्था और भक्ति जाति और धर्म से परे होती है। यह मंदिर साम्प्रदायिक सद्भाव और धार्मिक एकता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां मुस्लिम पुजारी देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और भक्तों की सेवा करते हैं।

Navratri 2024: पूजा-पाठ के साथ रखते हैं व्रत भी

राजस्थान के जोधपुर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र में एक छोटा-सा गांव है, जिसका नाम बागोरिया है। बागोरिया गांव की ऊंची पहाड़ियों पर मां दुर्गा का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। माता दुर्गा के इस मंदिर की सेवा पीढ़ी-दर-पीढ़ी मुस्लिम परिवार कर रहा है। इस समय मां दुर्गा के इस मंदिर में जलालुद्दीन खां पुजारी हैं। हजारों की संख्या में रोजाना माता के दर्शन करने के लिए लोग यहां आते हैं। खासतौर पर नवरात्रि के दौरान बड़ी सख्यां में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। Navratri 2024

उस रात हुआ था ये चमत्कार

कहा जाता है कि परिवार का जो भी सदस्य पुजारी बनता है, वो नमाज नहीं पढ़ता है। बल्कि पूजा-पाठ करने के साथ व्रत रखते हैं। लेकिन इसको लेकर कोई सख्त नियम नहीं हैं। नवरात्रि के दौरान मुस्लिम पुजारी हवन आदि कार्य भी करवाते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में ही रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के पुजारी जलालुद्दीन खान का कहना है कि सैंकड़ों साल पहले उनके पूर्वज यहां आकर बसे थे, क्योंकि उनके सिंध प्रांत में भारी अकाल पड़ रहा था। उस समय उनके पूर्वज ऊंटों के काफिले को लेकर मालवा जा रहे थे। लेकिन इसी बीच कुछ ऊंट रास्ते में बीमार हो गए, जिसके कारण उन्हें यहां रुकना पड़ा। Navratri 2024

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Bekhabar.IN इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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