Saturday, December 14, 2024

1965 में हिला दिया था पाकिस्तान, पढ़िए प्रधानमंत्री होते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने लोन पर क्यों ली थी कार…

लाल बहादुर शास्त्री: देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर… लाल बहादुर शास्त्री को कमजोर समझने की भूल पाकिस्तान को तब भारी पड़ी थी। लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के दिन आज 2 अक्टूबर को पढ़िए दिलचस्प किस्से जो आज की पीढ़ी को पता होने चाहिए। पीएम होने के बावजूद उन्होंने कार लोन पर क्यों ली। उनका जन्म मुगलसराय में हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री

सत्य और अहिंसा के पुजारी के तौर पर अगर (2 अक्टूबर) को हम महात्मा गांधी को पूजते हैं तो बता दें कि 2 अक्टूबर को ही लाल बहादुर शास्त्री भी जन्मे थे जिन्होंने दूसरों का दर्द बांटने की जो शिक्षा दी वह भारतीयों को युगों-युगों तक नेकी की राह दिखाती रहेगी। आज हम आपको लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से जुड़ी ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए जरूरी है निश्चित ही ये पढ़कर आपको अपने देश के महापुरुषों पर गर्व होगा। रोचक और प्रेरक किस्से, बच्चों को भी जरूर सुनाइएगा…

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सर्वोच्च पद पर होते हुए भी उनकी विनम्रता और जमीन से जुड़े होने की भावना ऐसी थी कि लोग कहते हैं कि शास्त्री जैसा कोई दूसरा नहीं होगा। शास्त्री जी बापू को गुरु मानते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि मेहनत प्रार्थना करने के समान है। इस भावना को उन्होंने अपने जीवन में अपनाया भी। वह जो फैसला देश के लिए लेते उसे पहले अपने घर में सख्ती से अपनाते थे।

घर वाले लाल बहादुर शास्त्री को नन्हे कहकर बुलाते थे

तब उत्तर भारत के साधारण परिवारों में छोटे बच्चों को प्यार से लल्लू,लल्लन या नन्हे बुलाया जाता था। कम लोगों को पता होगा कि लाल बहादुर शास्त्री जी को भी घरवाले प्यार से नन्हे पुकारते थे। तपती दुपहरी में नन्हे नंगे पाव स्कूल जाते थे। रास्ते में दो बार गंगा नदी पार करनी होती थी। वे सिर पर किताबें बांध लेते थे। ये कहानी देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की है। हो सकता है आज की पीढ़ी आश्चर्य करे कि कोई ऐसा भी हो सकता है। जी हां, आज के दौर में लोग पैसे के पीछे भागते हैं।

पाकिस्तान को सिखाया सबक

हमेशा कुछ ज्यादा पाने की ललक रहती है। जेहन में सिर्फ अपना हित होता है। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सर्वोच्च पद पर होते हुए भी बिल्कुल अलग थे। उनके संघर्ष की कहानियां आपको हैरान कर देंगी। वह कद में भले ही छोटे थे लेकिन 65 की लड़ाई में उनके नेतृत्व में पाकिस्तान को जिस तरह से मुहतोड़ जवाब दिया गया उससे साबित हो गया कि शास्त्री जी नरमदिल भले हैं पर दुश्मन के लिए हमेशा गरम मिजाज थे।

लाल बहादुर शास्त्री जी ने खुले मंच से कहा था

‘अगर तलवार की नोक पर या ऐटम बम के डर से कोई हमारे भारत को झुकाने चाहे या दबाना चाहे तो हमारा देश दबने वाला नहीं है। एक सरकार के नाते हमारा क्या जवाब हो सकता है सिवाय इसके कि हम हथियारों का जवाब हथियारों से दें।’ तत्कालीन पीएम की इस गर्जना से पाकिस्तान सहम गया था। हां, पाकिस्तान के हुक्मरानों को लगा था कि चीन से 62 की जंग लड़कर भारत कमजोर हो चुका होगा। पीएम की हाइट को लेकर भी उसने गलतफहमी पाल ली थी। ऐसे में 22 दिन तक घनघोर संग्राम चला और संयुक्त राष्ट्र को बीचबचाव के लिए आना पड़ा था।

​​पीएम होते हुए लोन पर ली थी कार​

हां, शास्त्री जी पीएम बन चुके थे। वह साल 1964 था। घरवालों ने कार खरीदने की सोची। वीएस वेंकटरमन पीएम के सहायक थे। उनसे पूछने पर शास्त्री जी को पता चला कि नई फिएट कार 12,000 रुपये की है। परिवार के पास तब बैंक में केवल 7,000 रुपये थे। 5000 रुपये की और जरूरत थी। पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने बैंक में 5,000 रुपये लोन के लिए आवेदन किया। उसी दिन उन्हें लोन मिल गया। उनकी मौत के समय लोन की यह धनराशि बैंक को पूरी चुकाई नहीं जा सकी थी। बाद में ललिता शास्त्री ने पेंशन के पैसे से उसे अदा किया।

पैसे बचे तो पेंशन घटवा दी

आजादी के आंदोलन के समय जब वह जेल में थे, तो परिवार को 50 रुपये पेंशन मिलती थी। उनकी पत्नी ने उन्हें बताया कि पेंशन से 10 रुपये बचा लिए हैं। शास्त्री जी ने पीपुल्स सोसायटी से कहा कि उनकी पेंशन घटा दी जाए और 10 रुपये किसी जरूरतमंद को दिया जाए। उनका कहना था कि जब 40 रुपये में परिवार का गुजारा हो जा रहा है तो 50 रुपये क्यों मिले।

लाठीचार्ज की जगह पानी

हां, लाल बहादुर शास्त्री तब मंत्री हुआ करते थे। बताते हैं तब यूपी में पुलिसवालों के लाठी चार्ज करने की जगह भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहली बार शास्त्री ने ही पानी की बौछार करने के आदेश दिए थे।

​लाल बहादुर शास्त्री ने रुकवाया था बेटे का प्रमोशन

आजकल शहर के नेता भी कार में बड़ा बोर्ड लगाकर घूमते हैं। गांव का प्रधान खुद को विधायक या सांसद समझता है। लेकिन शास्त्री जी की सादगी के क्या कहने। उन्होंने बेटे के कॉलेज एडमिशन के कागजों में खुद को गवर्मेंट सर्वेंट लिखा था। एक डिपार्टमेंट में उनके बेटे को अचानक प्रमोशन मिल गया तो शास्त्री जी सख्त हो गए। और पूछा कि बेवजह प्रमोशन क्यों दिया गया, फौरन आदेश दिया वापस न लिया तो कड़ी कार्रवाई होगी।

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