Rakshabandhan 2023: आज पूरे दिन रहेगी भद्रा, आज नहीं तो कल कब तक बांधी जा सकती है राखी ?
30 अगस्त, बुधवार को 10 बजकर 58 मिनट पर भद्राकाल में श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो गई है। पूरे दिन भद्रा काल का प्रभाव रहेगा, जिससे रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का आवसर नहीं होगा। 30 अगस्त को राखी बांधने के लिए कुल मिलाकर 01 घंटा 12 मिनट का समय मिलेगा।
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Rakhi Purnima 2023: आज और कल राखी बांधते समय इस मंत्र का जरूर करें जाप
रक्षाबंधन के अवसर पर, भद्रा काल के अशुभ प्रभाव के कारण आज दिनभर में राखी बांधना अनुचित हो सकता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में रक्षाबंधन से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। इस मौके पर, रक्षासूत्र की राखियों का रंग लाल, पीला और सफेद होना चाहिए, जबकि काले और नीले रंग की राखियों से बचना चाहिए। इसके साथ ही, राखी बांधते समय शास्त्रों में उल्लिखित मंत्रों का उच्चारण अवश्य करना चाहिए।
राखी बांधने का मंत्र-
येन बद्धो बलि राजा, दानवेंद्रो महाबल:। तेन त्वाम रक्ष बध्रामि, रक्षे माचल माचल:।।
आज नहीं तो फिर कब बांधी जा सकती है राखी
आज Rakshabandhan का उत्सव है, लेकिन श्रावणी पूर्णिमा के दो दिन तक रहने और 30 अगस्त को पूरे दिन भद्र काल के तहत राखी बांधने के संबंध में कुछ भ्रम है। लोगों के मन में विचार है कि क्या आज राखी बांधें या कल। हिन्दू पंचांग के अनुसार, Rakshabandhan का त्योहार श्रावण पूर्णिमा तिथि पर आता है और इस तिथि में भद्र काल के लोप का समय दोपहर के समय होता है, जिसे मनाना शुभ माना जाता है।
तथापि, जब 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि आएगी, तो तब भद्रा काल भी आरंभ हो जाएगा। 30 अगस्त को भद्रा पूरे दिन रहेगा और फिर रात्रि 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगा। इस रूप में, रात्रि 9 बजे के बाद राखी बांधी जा सकती है। विपरीत, 31 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 7 बजकर 7 मिनट पर समाप्त हो जाएगी, इसलिए इस तरीके से कल सुबह 7 बजे से पहले भी आप राखी बांध सकते हैं।
Rakshabandhan के दिन सूर्य और शनि एक दूसरे के सामने
इस साल Rakshabandhan पर, ग्रहों के गोचर से एक विशेष संयोग बन रहा है। इस बार के ज्योतिषीय गणनानुसार, रक्षाबंधन के दिन शनि ग्रह अपने मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में यात्रा पर होंगे। कुम्भ राशि शनि की स्वभाविक राशि है और 30 वर्षों के बाद शनि अपनी मूल राशि में वापस आ रहे हैं। वहीं, सूर्य जो शनिदेव के पिता कहलाते हैं, वे एक दूसरे के सामने लगभग 180 डिग्री को देखेंगे। सूर्य भी अपनी खुद की राशि में हैं और शनि देव भी अपनी राशि में हैं। इस प्रकार, वे दोनों एक दूसरे के सामने स्थित हैं।
क्यों नहीं बांधते भद्रा काल में राखी
भद्राकाल में राखी बांधना वर्जित होता है। इसके पीछे कई कथाएँ प्रसिद्ध हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण की बहन ने भद्राकाल के दौरान राखी बांधी थी, जिससे रावण और उसके सम्राटीय साम्राज्य का अंत हुआ। इस कारण, जिस वर्ष भी Rakshabandhan की पूर्णिमा तिथि पर भद्राकाल आता है, वहां राखी बांधने की प्रथा नहीं होती।
एक और कथा के अनुसार, भोलेनाथ भद्रा काल में तांडव करते हैं, जिससे भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता। भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन भी हैं और उनका स्वभाव उग्र और क्रूर होता है। इस कारण भी भद्राकाल को अशुभ माना जाता है।
रक्षाबंधन 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त
आज श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि है और आज ही सावन का आखिरी दिन भी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को Rakshabandhan का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि इस बार Rakshabandhan 30 और 31 अगस्त दोनों दिनों पर मनाया जाएगा। यहाँ तक कि आज पूर्णिमा तिथि की शुरुआत से ही भद्रा लग जाएगी और यह भद्राकाल पूरे दिन तक चलेगा। इस भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, इसलिए इसके कारण आज श्रावणी पूर्णिमा पर भी राखी बांधना नहीं होगा। भद्रा रात्रि 9 बजकर 1 बजे पर समाप्त होगी, फिर राखी बांधन का समय आएगा।
- पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 30 अगस्त 2023 की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से
- पूर्णिमा तिथि का समापन: 31 अगस्त की सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक
- भद्रा की शुरुआत: 30 अगस्त की सुबह 10 बजकर 59 मिनट से
- भद्रा की समाप्ति: 30 अगस्त की रात 09 बजकर 01 मिनट पर
- राखी बांधने का मुहूर्त: 30 अगस्त की रात 09 बजकर 03 मिनट से 31 अगस्त 2023 की सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
- रक्षाबंधन भद्रा पूंछ: 30 अगस्त की शाम 05:30 बजकर 06:31 बजकर तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख: 30 अगस्त की शाम 06:31 बजकर 08:11 बजकर तक