Saturday, December 14, 2024

Shivaji Wagh Nakh : शिवाजी ने जिस हथियार से किया था अफजल का काम तमाम, वह यूके से भारत आएगा…

Shivaji Wagh Nakh : मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज ने जिस वाघ नख से 1965 में बीजापुर सल्तनत के अफजल खान को मारा था उसे भारत लाने की तैयारी की जा रही है। बाघ के पंजे के आकार के खंजर को ब्रिटेन के अधिकारी वापस देने पर सहमत हो गए हैं। महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार MoU पर हस्ताक्षर करने के लिए इस महीने के अंत में लंदन जाएंगे। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हो जाता है, तो प्रसिद्ध वाघ नख इस साल ही भारत आ सकते हैं। वर्तमान में ये लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं।

Shivaji Wagh Nakh इस दिन आ सकता है भारत

मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि हमें ब्रिटेन के अधिकारियों से एक पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि वे हमें छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख वापस देने के लिए सहमत हो गए हैं। बाघ के पंजों का वापस आना महाराष्ट्र और उसकी जनता के लिए बड़ा कदम है। स्थानांतरण व्यक्तिगत जिम्मेदारी और देखभाल के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि वाघ नख को उसी दिन भारत लाया जाए जब शिवाजी ने अफजल खान को मार डाला। यदि ऐसा संभव नहीं हुआ तो किसी और तिथि पर विचार करेंगे। बता दें कि ग्रिगेरियन कैलेंडर के आधार पर शिवाजी ने 10 नवंबर 1659 को अफजल खान को मारा था। ( Shivaji Wagh Nakh )

कैसा होता है वाघ नख?

भारत में वाघ नख का इस्तेमाल सबसे पहले मराठा छत्रपति शिवाजी ने किया था। इसे निहंग सिख भी इस्तेमाल करते हैं और पगड़ी में पहनते हैं। स्टील से बने वाघ नख में चार पंजे होते हैं जो एक पट्टी पर लगे होते हैं। पहली और चौथी उंगलियों के लिए दो छल्ले होते हैं जिन्हें पहना जाता है। इस खंजर के आगे का हिस्सा बेहद नुकीला होता है। एक तरह से यह बाघ के पंजे की तरह नजर आता है। वाघ नख सतारा दरबार में शिवाजी महाराज के वंशज थे। यह ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ को दिया गया था। जिन्हें मराठा पेशवा के प्रधानमंत्री द्वारा 1818 में सतारा राज्य का निवासी (राजनीतिक एजेंट) नियुक्त किया गया था। डफ ने 1818 से 1824 तक कोर्ट में सेवा की। जिसके बाद वह इसे अपने साथ ब्रिटेन ले गए और उनके वंशजों ने हथियार को वी एंड ए संग्रहालय को दान कर दिया। ( Shivaji Wagh Nakh )

कितना आएगा खर्च?

इसके लिए मुनगंटीवार, प्रमुख सचिव संस्कृति (डॉ. विकास खड़गे) और राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय के निदेशक डॉ. तेजस गर्गे, लंदन लंदन में वी एंड ए और अन्य संग्रहालयों का दौरा करेंगे। ”संकल्प के अनुसार, महाराष्ट्र 29 सितंबर से 4 अक्टूबर तक तीन सदस्यीय टीम की छह दिवसीय यात्रा के लिए लगभग 50 लाख रुपये खर्च करेगा। (Shivaji Wagh Nakh )

चचा! इसे भी पढ़ लो...

इन वाली खबरों ने रुक्का तार रखा...