Sunday, December 15, 2024

Shradh 2023 Start Date: कब से हैं श्राद्ध ? कनागत के दौरान क्या नहीं खरीद सकते है ?

कनागत: सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह 16 दिनों का वह समय है जब पूर्वज अपने बच्चों से मिलने और उनका हालचाल जानने के लिए धरती पर आते हैं। श्राद्ध के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनके वंशज श्राद्ध कर्म व पिंडदान करते हैं। इस समय में कोई भी नई वस्तु नहीं खरीदना चाहिए। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति इन बातों का ध्यान रखते हैं उनसे पूर्वज खुश होते हैं और वो अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान, जिसमें 16 दिन होते हैं। इन दिनों में किसी भी नई चीज़ की खरीदारी से बचा जाता है। इस अवधि के दौरान, हमारे पितरों की आत्माएँ मृत्युलोक में भटकती हैं। इस समय को हमारे पितरों को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिए हमें पिण्डदान, दान, भक्ति, और तर्पण का आचरण करना चाहिए।

इसके अलावा, पितृ पक्ष के दौरान नए घर, गाड़ी, वस्त्र, सोना, आदि की खरीदारी के लिए भी मना किया जाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत भी इस समय वर्जित मानी जाती है। इस दौरान किसी भी प्रकार की नई खरीदारी या व्यापारिक काम करने से व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए पितृ पक्ष के दौरान ऐसे कार्यों से बचना बेहतर होता है।

क्या श्राद्ध में सोना खरीद सकते हैं ?

इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कार्य, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। इन 16 दिनों के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ, मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। इस दौरान सोना, चांदी या कोई अन्य चीज़ खरीदना नहीं सलाहकार होता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान लोग किसी भी शुभ कार्य का नहीं आयोजन करते और न ही कोई सामान खरीदते हैं। इसलिए, आप पितृ पक्ष की शुरुआत से पहले सोना या कोई नई वस्तुओं की खरीददारी कर सकते हैं।

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कौवों को जरूर खिलाएं

हिन्दू धर्म और शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध के दौरान कौवों को भरपूर खाना पितृगण को संतुष्ट करता है। यह कहा जाता है कि कौवों को भोजन देकर ही पितृगण को तृप्ति मिलती है। कई परंपराओं के अनुसार, कौवे पितरों के रूप में माने जाते हैं। इसलिए, जब कौवे तृप्त होते हैं, तो सोचा जाता है कि हमारे पूर्वज भी तृप्त हो गए हैं।

इस दिन से शुरू हो रहें हैं श्राद्ध

इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023, शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इस दिन पूर्णिमा श्राद्ध और प्रतिपदा श्राद्ध का आयोजन होता है। पितृ पक्ष का समापन 14 अक्टूबर, शनिवार को होगा।

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