Shukratal Uttar Pradesh: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर में स्थित ‘शुक्रताल’ को शुकतीर्थ के नाम से भी जाना जानें लगा है। शुक्रताल एक धार्मिक स्थल है जिसका इतिहास सीधे तौर पे महाभारत से जुड़ा हुआ है। देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 150.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में, एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां लोग दूर दूर से आते हैं।
आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि मुजफ्फरनगर में स्थित शुक्रताल नामक तीर्थ स्थल के बारे में और इससे जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में भी हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों को बताएंगे। यदि आप भी इस अनकही एवं अनसुने धार्मिक तीर्थ स्थल के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें। Shukratal Uttar Pradesh
शुक्रताल का इतिहास
शुक्रताल का इतिहास बताता है कि मुजफ्फरनगर में स्थित शुक्रताल नामक तीर्थ स्थल पर विशेष महत्वपूर्णीयता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर गंगा नदी में स्नान करते हैं और अपनी आस्था को पावन करते हैं। मुजफ्फरनगर के शुक्रताल तीर्थ स्थल पर एक विशेष वृक्ष है, जिसे अक्षवत कहा जाता है, और इसकी विशाल जताएं फैली हुई हैं। जिसकी उमर लगभग 5000 साल से भी ज्यादा बताई जाती है। Shukratal Uttar Pradesh
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यह पवित्र वृक्ष बहुत ही प्राचीन एवं धार्मिक काल का है। इस आध्यात्मिक वृक्ष की पूजा व आराधना करते हैं भक्तजन एवं इसके प्रति विशेष श्रद्धा रखते हैं। इस पवित्र स्थल पर समय-समय पर मोक्ष के लिए भगवद गीता का पाठ किया जाता है और यहां पर भगवत कथाएं भी सुनाई जाती हैं।
Shukratal Uttar Pradesh
यह स्थान एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और यहां पर कई प्राचीन मंदिर, धर्मशालाएं, और सभी आवश्यक साधन स्थापित किए गए हैं। प्राचीन काल में यह धार्मिक स्थल गंगा नदी के बहुत समीप स्थित था और गंगा का पावन प्रवाह यहां से होकर जाता था। हालांकि, वर्तमान में गंगा नदी इस स्थल से दूर हो चुकी है। इस धार्मिक स्थल पर पहुंचने के लिए कई सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है। इसके बाद, आप मंदिर में पूजा कर सकते हैं और देवी-देवताओं के आशीर्वाद का अनुभव कर सकते हैं। Shukratal Uttar Pradesh
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राजा परीक्षित द्वारा की गई एक अनजाने में गलती के कारण, उन्हें एक ऋषि के पुत्र ने सर्प मृत्यु का श्राप दिया था, ऐसा कहा जाता है। श्री सुखदेव मुनि ने पांडव वंश के राजा परीक्षित को इस श्राप से मुक्ति प्राप्त करने के लिए अक्षवत वृक्ष के नीचे 88 हजार ऋषि-मुनियों के साथ श्रीमद्भागवत गीता का कथा सुनाई गई थी, और इसके परिणामस्वरूप राजा परीक्षित को श्राप से मुक्ति प्राप्त हुई। Shukratal Uttar Pradesh
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