महिला आरक्षण विधेयक: संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन कार्यवाही की शुरुआत हो गई। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक, जिसे नारी शक्ति वंदन विधेयक भी कहा जाता है, पर बहस आरंभ हो गई। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि यह मेरे पति राजीव गांधी का सपना था। उन्होंने इसके साथ ही जाति जनगणना की मांग भी की।
सोनिया गांधी ने क्या कहा ?
सोनिया गांधी ने कहा, ‘अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने की इजाजत दी, इसके लिए मैं आपकी कृतज्ञ हूँ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से, मैं नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 का समर्थन करती हूँ।’
“सोनिया ने कहा कि धुंए से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाती हुई स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है। उसने जन्म दिया, उसने परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अक्सर खुद को हारते हुए, लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा।
महिला आरक्षण बिल था जरूरी
उन्होंने कहा कि भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है, उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरफ अडिग रही। उन्होंने कहा कि स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती। हमारे महान देश की मां है स्त्री, लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींच कर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली बनाया है।”
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कॉंग्रेस नेता सोनिया ने कहा कि चेयरपर्सन, यह मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण समय है, खुद मेरे लिए। पहली बार स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी को तय करने वाले संविधान संशोधन (महिला आरक्षण बिल) को मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ने लाया था, लेकिन यह नियम राज्यसभा में सात वोटों से पारित नहीं हुआ था। उसके बाद, प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व में कॉंग्रेस सरकार ने ही इसे मंजूरी दिलाई। आज हमारे पास देशभर के स्थानीय निकायों में चुनी गई 15 लाख महिला नेता हैं, और यह उसी सपने का परिणाम है जिसे राजीव गांधी ने देखा था। वह कहीं कि राजीव गांधी का सपना अभी भी आधा पूरा हुआ है, लेकिन इस संविधान संशोधन के साथ, वह पूरी तरह से हो जाएगा।
उन्होंने जताया कि कॉंग्रेस पार्टी इस संविधान संशोधन (महिला आरक्षण बिल) का समर्थन करती है, और हम इसे स्वागत करते हैं, लेकिन इसके साथ ही हमें एक चिंता भी है। उन्होंने कहा, ‘मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि पिछले 13 वर्षों से भारतीय महिलाएं अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं, और अब उन्हें कुछ और वर्षों के लिए क्यों इंतजार करना पड़ रहा है? 2, 4, 6, या 8 वर्ष? क्या इस तरह का विलंब भारत की महिलाओं के साथ उचित है?’
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