UP News: कल हांगझोऊ एशियन गेम्स 2023 में 35 किमी की मिश्रित रिले रेस वॉक में कांस्य पदक जीतकर रामबाबू ने लोगों का दिल भी जीत लिया। रामबाबू उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के मधुपुर निवासी हैं। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी, जिसे मनरेगा के नाम से जाना जाता है में मजदूरी तक की, ताकि वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। इन हालतों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और मेडल जीतकर कामयाबी की कथा बदल दी।
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खपरैल में रहता है रामबाबू का परिवार (UP News)
मधुपुर के भैरवगांधी गांव में रहने वाले रामबाबू के माता-पिता छोटेलाल भी खुद एक मजदूर हैं। उनका परिवार आज भी एक खरपैल के घर में जीवन बिताता है। सबसे ख़ास बात यह है कि विदेश में खेल रहे उनके बेटे के मेडल जीतने की जानकारी पिता को घास काटने के दौरान ही मिली। पशुओं के लिए साइकिल पर चारा लेते हुए घर लौट रहे छोटेलाल को गांववालों ने बताया कि उनका बेटा एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीत चुका है। इस खुशखबरी के बाद रामबाबू के पिता की खुशी को कोई ठिकाना नहीं रहा।
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बचपन संघर्ष से भरा (UP News)
उधर, हांगझोऊ में कांस्य पदक जीतने के बाद राम बाबू ने कहा, “मेरा बचपन संघर्ष से भरा था। मैं बहुत पिछड़े इलाके से आता हूं। यह मेरी मां का सपना था। आज हम चाहे कैसे भी जी रहे हों, हमारे परिवार को अच्छी जिंदगी मिलनी चाहिए। यह मेरे, मेरे परिवार और मेरे गांव के लिए गर्व की बात है कि मैंने एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।” (UP News)
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प्रधानमंत्री मोदी ने दी रामबाबू-मंजू को बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भैरवगांधी गांव के लाल रामबाबू को कांस्य पदक जीतने पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “35 किमी रेस वॉक मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक के साथ भारत को गौरवान्वित करने के लिए रामबाबू और मंजू रानी को बधाई। यह सफलता इन अद्भुत एथलीटों द्वारा दिखाए गए जबरदस्त धैर्य और दृढ़ संकल्प के बिना संभव नहीं थी।”
सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले भारतीय वन सेना (IFS) अफसर प्रवीण कासवान ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “यह राम बाबू हैं, जो कभी मनरेगा मजदूर और वेटर के रूप में काम करते थे। आज उन्होंने एशियन गेम्स में 35 किमी रेस वॉक मिक्स्ड टीम में कांस्य पदक जीता।” (UP News)