Thursday, December 12, 2024

Israel-Palestine Conflict: क्या है इजरायल-फिलिस्तीन विवाद? जानिए हिटलर के जुल्म से आज की ‘जंग’ तक की कहानी

Israel-Palestine Conflict: इजरायल पर हमास के ताजा हमले के बाद एक बार फिर इजरायल और फिलिस्तीन विवाद चर्चा का केंद्र है। बीते दिन शनिवार यानि 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल के खिलाफ ‘ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म’ शुरू किया। हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल पर 5000 रॉकेट्स दागने का दावा किया साथ ही हमास से जुड़े दर्जनों लड़ाके दक्षिण की तरफ से इजरायल की सीमा के अंदर घुस गए। इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया।

लेकिन इस संघर्ष के बीच समझने की जरूरत इस बात की है कि आखिर इजरायल-फिलिस्तीन के बीच तनाव का कारण क्या है? गाजा स्ट्रिप क्या है? और यरूशलम दोनों देशों के लिए अहम क्यों है?

इजरायल और फिलिस्तीन (Israel-Palestine Conflict)

दरअसल इजरायल-फिलिस्तीन विवाद (Israel-Palestine Conflict)को समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर ये विवाद कहां और दुनिया के किस हिस्से में चल रहा है। तो बता दें कि इजरायल मिडिल ईस्ट में मौजूद एक यहूदी देश है।

इजरायल के पूर्वी हिस्से में वेस्ट बैंक और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में गाजा पट्टी है। वेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप को फिलिस्तीन के तौर पर जाना जाता है। वेस्ट बैंक में ‘फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ सरकार चलाती है जिसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली हुई है। वेस्ट बैंक में ही इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म का पवित्र शहर यरूशलम मौजूद है।


इजरायल की अपनी सरकार है जहां बेंजामिन नेतन्याहू वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। जबकि वेस्ट बैंक में ‘फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ के तहत फतह पार्टी की सरकार है और महमूद अब्बास यहां के वर्तमान राष्ट्रपति हैं।

विवाद की शुरुआत (Israel-Palestine Conflict)

अगर विवाद की शुरूआत की बात करें तो फिलिस्तीन और इजरायल के बीच विवाद की नींव प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) में ओटोमन साम्राज्य की हार के साथ ही हो गई थी। फिलिस्तीन पर पहले ओटोमन साम्राज्य का शासन था, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार हुई जिसके बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर पूरा कब्जा कर लिया। उस वक्त इजरायल नाम से कोई देश नहीं था।

इजरायल से लेकर वेस्ट बैंक तक के इलाके को फिलस्तीनी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था हालांकि उस समय फिलिस्तीन में यहूदी अल्पसंख्यक और अरब बहुसंख्यक थे। (1917 में ब्रिटेन ने सार्वजनिक रूप से फिलिस्तीन में “यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय घर” स्थापित करने के उद्देश्य की घोषणा की थी। जिसे बाल्फोर घोषणा कहा जाता है।)

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दरअसल ये बयान तत्कालीन ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर जेम्स बाल्फोर ने लियोनेल वाल्टर रोथ्सचाइल्ड (ब्रिटिश-यहूदी समुदाय के प्रमुख नेता) को पत्र के रूप में दिया था। युद्ध के बाद के बाकी शासनादेशों के विपरीत, फिलिस्तीन में ब्रिटिश शासनादेश का मुख्य लक्ष्य एक यहूदी “राष्ट्रीय घर” की स्थापना के लिए स्थितियां बनाना था- जहां यहूदियों की आबादी 10 प्रतिशत से भी कम थी।

जनादेश शुरू होने पर, अंग्रेजों ने फिलिस्तीन में यूरोपीय यहूदियों के आप्रवासन को सुविधाजनक बनाना शुरू कर दिया। 1922 से 1935 के बीच, यहूदी आबादी 9 प्रतिशत से बढ़कर कुल आबादी का लगभग 27 प्रतिशत हो गई। इस दौरान एक तरफ जहां यहूदियों का मानना था कि ये उनके पूर्वजों का घर है जबकि दूसरी तरफ फिलस्तीनी अरब भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करते थे। इस तरह से फिलिस्तीन-इजरायल विवाद की शुरुआत हो गई।

इजरायल की स्थापना (Israel-Palestine Conflict)

29 नवंबर, 1947 को संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 181 यानि विभाजन प्रस्ताव के रूप को अपनाया। प्रस्ताव 181 के तहत ब्रिटिश शासन के अधीन फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में विभाजित करने का फैसला किया गया और यरूशलम को संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण के अधीन रखने का फैसला किया गया।

जैसे ही इजरायल ने अपनी आजादी का ऐलान किया तो 24 घंटे के अंदर ही अरब देशों की संयुक्त सेनाओं ने इजरायल पर हमला कर दिया। ये लड़ाई करीब एक साल तक चली जिसमें अरब देशों की सेनाओं की हार हुई। आखिर में ब्रिटिश राज वाला ये पूरा हिस्सा तीन भागों में बंट गया। जिसे इजरायल, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी का नाम दिया गया।

कैसे फिलिस्तीन पर बढ़ता गया इजरायल का कब्जा? (Israel-Palestine Conflict)

1917 से 2020 तक फिलिस्तीन पर इजरायल का कब्जा बढ़ता गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिस्तीन पर ब्रिटिश शासन से पहले, यहूदी की जनसंख्या का लगभग 6 प्रतिशत थे। 1947 से 1950 तक, नकबा या ” कैटास्ट्रोफ” के दौरान, यहूदी सैन्य बलों ने कम से कम 750,000 फिलिस्तीनियों को निष्कासित कर दिया और ऐतिहासिक फिलिस्तीन के 78 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया। बाकी बचे 22 प्रतिशत को वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में विभाजित कर दिया गया था। 1967 में जब हुआ तो इजरायली सेना ने पूरे ऐतिहासिक फिलिस्तीन पर कब्जा कर लिया और 300,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल दिया।

यरूशलम (Israel-Palestine Conflict)

इजरायल-फिलिस्तीन विवाद के बीच यरूशलम के इतिहास को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि दोनों देशों के लिए ये बेहद अहम है। दरअसल, यरूशलम मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों का एक पवित्र प्राचीन शहर है।
पश्चिमी यरूशलम पर 1948 से इजरायल का कब्जा है, यहां यहूदी बहुसंख्यक हैं। पूर्वी यरूशलम में फिलिस्तीनी बहुसंख्यक हैं।


इसी हिस्से में अल-अक्सा मस्जिद परिसर समेत यरूशलम पुराना शहर है।
1967 में इजरायल ने यरूशलम पर कब्जा कर लिया था।

दरअसल अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और यहूदी भी इसे अपना सबसे पवित्र स्थल मानते हैं। दोनों इस पर अपना-अपना दावा करते हैं, जो विवाद की एक वजह है। 1980 में इजरायल ने यरूशलम पारित कानून में दावा किया गया था कि “यरूशलम, पूर्ण और एकजुट, इजरायल की राजधानी है”। फिलिस्तीन हमेशा से इसका विरोध करता आया है।

गाजा पट्टी क्या है? (Israel-Palestine Conflict)

गाजा पट्टी एक फिलिस्तीनी क्षेत्र है। जो मिस्त्र और इजरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है। इस पर हमास का शासन है और हमास सबसे बड़ा फिलिस्तीनी सैन्य समूह है। यह संगठन इजरायल के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध के लिए भी जाना जाता है। दरअसल, 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के बाद गाजा पट्टी पर मिस्र का शासन था लेकिन 1967 में हुए 6 दिवसीय युद्ध में इजरायल ने इस पर फिर से कब्जा कर लिया था। इजरायल ने करीब 25 सालों तक गाजा पट्टी पर कब्जा जमाए रखा।

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