कुकी समुदाय: इजराइली रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 हजार वर्ष पहले उन्होंने अन्य शक्तियों के हमले का सामना किया था। उस समय लगभग 12 यहूदी समुदायों को देश से निकाल दिया गया था। मणिपुर में वस्तुतः, कुकी भी इनमें से एक हैं। इसराएल अब उन्हें वापस बुलाने और नागरिकता प्रदान करने का आलंब ले रहा है। हालांकि कुकी लोग अब मुख्य शहरों में नहीं बल्कि गाजा पट्टी की सीमा पर बसे हुए हैं।
इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास की लड़ाई में एक के बाद एक दूसरे गठबंधन भी जुट रहे हैं। हाल ही में लेबनान से हिजबुल्लाह ने भी इस युद्ध में भाग लिया। चारों ओर से आने वाली हमलों से घिरे देश को बचाने के लिए यहूदी नागरिक दुनियाभर से इजराइल वापस आ रहे हैं। मणिपुर का कुकी समुदाय भी इसमें शामिल हो रहा है।
कुकी समुदाय और यहूदियों के बीच संबंध?
इस भारतीय समुदाय को इजरायल ‘लॉस्ट ट्राइब’ यानी खोई हुई जनजाति का भी दर्जा देता है, लेकिन सवाल यह है कि हजारों सालों से मणिपुर में बसे हुए एक और भारतीय कुकी समुदाय और यहूदियों के बीच क्या संबंध हैं। क्यों एक नागरिकता के कठिन नियमों वाले देश में वे यहाँ बने हुए हैं, यह एक सवाल है। क्यों नागरिकता के कड़े नियमों वाला देश इन्हें अपना रहा है?
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19वीं सदी में पहली बार दिखी समानता
ईसा पूर्व 8वीं सदी की बात है। इस समय इजरायल में विदेशी आक्रमण बढ़ रहे थे और असीरियन शासनकाल शुरू हुआ। इस दौरान असीरियन शासकों ने इजरायल के मूल निवासी यहूदी जातियों की लगभग 12 जनजातियों को वहां से निष्कासित कर दिया। इन लोगों में से कुछ ने व्यापार के माध्यम से पहले भारत आना चुना। इस आक्रमण के बाद कई जनजातियां भारत के विभिन्न राज्यों में बस गईं और बेनी मेनाशे उनमें से एक थी। ये वे यहूदी थे, जो मणिपुर और मिजोरम में बस गए।
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माना जाता है कि मणिपुर में निवास करने वाले कुकी समुदाय के लोग इजरायलियों के दूर के रिश्तेदार हैं। इस तथ्य का खुलासा करने में बहुत समय लगा। 19वीं सदी में, जब ईसाई मिशनरी सबके पास पहुंचने लगे, तभी ये कुकी लोगों से भी मिले। वे इस बात से चौंक गए कि कुकी समुदाय के संस्कृति और रीति-रिवाज यहूदियों से काफी मिलते-जुलते हैं। इस सच्चाई को धीरे-धीरे खोलने में काफी समय लगा।
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जेनेटिक कोड भी मिलता-जुलता है
इसके लिए डीएनए (DNA) टेस्ट भी किया गया था। सेंट्रल फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट कोलकाता ने 2005 में खोजा कि कुकी समुदाय का जीनेटिक संबंध इजरायल के यहूदियों से है। माना गया कि दो बेहद दूर-दराज लोगों के डीएनए में कोई संबंध नहीं होता है, अगर उनमें कोई रिश्ता नहीं होता। वहीं, दोनों समुदायों में एक विशेष प्रकार का जीनेटिक सीक्वेंस कोड मिला और यह कोड उजबेकिस्तान में बसे हुए यहूदियों में भी पाया गया था। वैसे, इसमें एक समस्या थी क्योंकि इस समानता केवल महिलाओं के DNA में दिखाई दी, जबकि पुरुषों के DNA में ऐसा कोई विशेष गुण नहीं था। इसे समझने के लिए च्रोमोसोम को जिम्मेदार मानकर मणिपुर के बेनी मेनाशे की इजरायल के साथ संबंधित जड़ें होने का यकीन किया गया।
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