Elections: भारतीय चुनाव आयोग ने देश के पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। 3 दिसंबर को मतगणना होगी। साथ ही राज्यों में चुनाव आचार संहिता लग गई है।
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इस दौरान सरकारी कामों पर अस्थाई रूप से रोक लगी रहेगी। दरअसल इन कामों पर रोक इसलिए लगा दी जाती है कि इनका सत्ताधारी दल को फायदा होने की आशंका होती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि नए जिलों के निर्माण, नौकरियों में भर्ती का क्या होगा? यानि विकास कार्यों का क्या होगा?

आचार संहिता में कौन से काम रुकते हैं? (Elections)
- आचार संहिता में चुनाव कार्यों से जुड़े किसी भी अधिकारी को किसी भी नेता मिलने जुलने पर मनाही होती है।
- सरकारी खर्चे पर किसी नेता के आवास पर कोई आयोजन नहीं किया हो सकता।
- सत्ताधारी पार्टी के लिए सरकारी पैसे से सरकारी प्रचार-प्रसार करने के लिए विज्ञापन चलाने पर रोक होती है।
- आचार संहिता लागू होने के बाद विधायक, संसद या विधान परिषद के सदस्य विकास कार्य के लिए फंड जारी नहीं कर सकते।
- आचार संहिता में पेंशन फॉर्म जमा नहीं किये जा सकते।
- आचार संहिता लागू होने के बाद नए राशन कार्ड भी नहीं बनाए जा सकते
- आचार संहिता लागू होने के बाद हथियार रखने के लिए नया आर्म्स लाइसेंस नहीं बनता।
- आचार संहिता लागू होने के बाद बीपीएल कार्ड नहीं बनाए जा सकते, नया टेंडर जारी नहीं किया जा सकता।
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अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग रुक जाती है (Elections)

आचार संहिता लागू होने के बाद अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग रुकती नहीं है। मगर किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। अगर किसी का ट्रांसफर बेहद जरूरी हो तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये फैसला नहीं ले सकती है। इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कर सकते हैं।
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