NewsClick को क्यों मिली थी चीनी फंडिंग? विस्तार से जानिए…

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NewsClick: न्यूज क्लिक वही प्रोपेगेंडा पोर्टल है, जिस पर भारत के शत्रु चीन से करोड़ों की फंडिंग मिलने का आरोप है। इन पैसों के बदले न्यूज़ क्लिक पर चीन के समर्थन में और भारत के विरोध में प्रोपेगेंडा फैलाने का भी आरोप है। 

आज मंगलवार की सुबह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूज़ क्लिक से जुड़ें जिन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की है उनमें एक नाम न्यूज एंकर से यूट्यूबर बने अभिसार शर्मा भी शामिल है। स्पेशल सेल की ताबड़तोड़ कार्रवाई से घबराए पत्रकार अभिसार शर्मा ने अपने X यानि पूर्व ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि, ‘दिल्ली पुलिस मेरे घर पहुँची। मेरा लैपटॉप और फोन ले लिया।

शत्रु चीन और NewsClick के बीच संबंध उजागर

अगस्त, 2023 में अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक आर्टिकल ने बड़ा खुलासा करते हुए न्यूजक्लिक वेबसाइट (News Click) और चीन (China) के संबंधों को उजागर किया था। जिसका ज़िक्र भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में भी किया था। निशिकांत दुबे ने लोकसभा में न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट दिखाते देते हुए कहा था कि ‘न्यूज क्लिक को चीन से 38 करोड़ रुपए मिले थे, जिसे उसने कुछ पत्रकारों में बाँट दिया था।’

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प्रोपेगेंडा खबरें चलाता था NewsClick

बता दें कि, न्यूज़क्लिक (NewsClick) के पोर्टल पर आप देखेंगे कि, वो अक्सर प्रोपेगेंडा खबरें चलता था, इसी के बदले में उसे चीन से पैसे मिलते थे, उसके अधिकतर लेख विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस के समर्थन में होते थे, वहीं, केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारें उसके निशाने पर रहती थी।

दरअसल, शत्रु देश चीन भारत में मोदी सरकार के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने और माहौल बनाने के लिए पैसे देता है, ताकि सरकार हटे और उसका काम आसान हो जाए। चीन उन देशों में ये खेल नहीं खेलता, जहाँ उसकी समर्थक सरकारें हैं। यही खुलासा ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में किया था।

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प्रवर्तन निदेशालय ने भी किया था बड़ा खुलासा

केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 9 फरवरी 2021 को न्यूजक्लिक (NewsClick) के संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ के आवास पर रेड मारी थी। ED के सूत्रों के मुताबिक, न्यूज़ क्लिक को एक अमेरिकी कंपनी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तहत 10 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। जाँच में चौंकाने वाली बात यह पता चली थी कि पुरकायस्थ को इस बात का पता ही नहीं था कि अमेरिकी कंपनी ने उनकी कंपनी के अकाउंट में पैसे क्यों ट्रांसफर किए। वास्तव में, अमेरिकी कंपनी से मिले पैसों के बदले उन्होंने क्या काम किया था, वह उसका कोई स्पष्ट जवाब ही नहीं दे पाए थे।

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